तीन महीनों की खामोशी के बाद भारतीय प्राथमिक शेयर बाजार (IPO मार्केट) में एक बार फिर गहमागहमी लौट आई है. मई-जून के दौरान देश में आईपीओ का दौर तेज होने जा रहा है, जिसमें कई नामी और उभरती कंपनियां पब्लिक इन्वेस्टमेंट के लिए तैयार खड़ी हैं. इस महीने यानी मई में सात कंपनियों ने आईपीओ लॉन्च की प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं जून में 10 से ज्यादा कंपनियां अपना डेब्यू कर सकती हैं. सेकेंडरी मार्केट में स्थिरता और ग्लोबल तनाव में कमी के चलते निवेशकों की दिलचस्पी दोबारा तेज हो गई है.

लग्जरी होटल से लेकर टर्मिनल स्टोरेज तक – IPO की कतार

श्लॉस बैंगलोर, जो भारत में द लीला होटल्स का संचालन करता है, 3,500 करोड़ रुपये के पब्लिक इश्यू के साथ बाजार में उतर रहा है. इसी के साथ एजिस वोपैक टर्मिनल्स, जो तरल गैस और अन्य तरल उत्पादों की स्टोरेज सेवाएं देती है, भी 2,800 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए तैयार है. ये दोनों इश्यू 26 मई को खुलेंगे और 28 मई को बंद होंगे. बेलराइज इंडस्ट्रीज और बोराना वीव्स पहले ही अपने पब्लिक ऑफर लॉन्च कर चुकी हैं, जबकि प्रोस्टॉर्म इन्फो सिस्टम्स 27 मई से अपना आईपीओ खोलेगी. इस हफ्ते एरिसइन्फ्रा सॉल्यूशंस और स्कोडा ट्यूब्स की भी संभावित एंट्री तय मानी जा रही है.

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IPO की वापसी के पीछे क्या है वजह?

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के हफ्तों में ब्लॉक डील्स की बढ़ती संख्या, वैश्विक अनिश्चितताओं में नरमी और निवेशकों के भरोसे में सुधार ने कंपनियों को फिर से पब्लिक ऑफरिंग की ओर आकर्षित किया है. HSBC इंडिया के इन्वेस्टमेंट बैंकिंग हेड रणवीर दवड़ा का मानना है कि बाजार की मौजूदा स्थिरता ने खासतौर पर विदेशी संस्थागत निवेशकों की भागीदारी को बल दिया है, जिससे आईपीओ लॉन्च करने वाली कंपनियों की संख्या में तेजी आई है.

जून में भी IPO की लंबी लिस्ट

जून में कई बड़ी कंपनियां निवेशकों के सामने अपनी पेशकश लेकर आएंगी. इनमें कॉन्टिनम ग्रीन एनर्जी, इंडिक्यूब, CIEL HR, परमेसु बायोटेक, सोलरवर्ल्ड, ब्रिगेड होटल वेंचर्स, ऑलटाइम प्लास्टिक्स, रीग्रीन एक्सेल, स्मार्टवर्क्स और NSDL जैसे नाम प्रमुख हैं. JM फाइनेंशियल की नेहा अग्रवाल कहती हैं कि यह रिवाइवल महज संयोग नहीं, बल्कि मजबूत आर्थिक संकेतकों, बेहतर कॉर्पोरेट प्रदर्शन और निवेशकों के स्थायी रुझान का परिणाम है.

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अब ‘हाइप’ नहीं, मजबूत कंपनियां ही बन रही हैं चॉइस

नेहा के मुताबिक, अब निवेशक केवल ब्रांड या प्रचार पर नहीं जा रहे. कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट, मुनाफे में निरंतरता और तर्कसंगत वैल्यूएशन ही सफलता की कुंजी बन चुके हैं. इस फाइनेंशियल ईयर में टाटा कैपिटल, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी, लेंसकार्ट, मणिपाल हॉस्पिटल्स और फोनपे जैसी कंपनियां भी अपने आईपीओ के ज़रिए एक अरब डॉलर से ज्यादा जुटाने की योजना बना रही हैं.

सेबी की मंजूरी और ब्लॉक डील्स का असर

लगभग 60 कंपनियों को सेबी से IPO की मंजूरी मिल चुकी है, जबकि 75 और कंपनियां ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल कर चुकी हैं. इससे पहले मई के पहले हिस्से में कई हाई-वैल्यू ब्लॉक डील्स भी हुईं, जैसे: Singtel ने भारती एयरटेल में अपनी हिस्सेदारी से ₹13,180 करोड़ जुटाए. कार्लाइल ग्रुप ने PNB हाउसिंग फाइनेंस में 10.44% स्टेक बेचकर ₹2,700 करोड़ प्राप्त किए. जनरल अटलांटिक और एंट फाइनेंशियल ने क्रमश: कैफिन टेक्नोलॉजीज और Paytm (One97) में हिस्सेदारी बेचकर ₹2,100 करोड़ से अधिक जुटाए.