रायपुर। 2005 बैच के आईपीएस ऑफिसर आरिफ शेख अब किसी पहचान के मोहताज नहीं रह गए हैं. प्रदेश में पदस्थापना के बाद से ही अपनी योग्यता के बल पर सफलता की हर सीढ़ी को आसानी से पार कर जाने वाले आरिफ शेख की काबिलियत ही है कि उन्हें राज्य सरकार ने अब EOW और ACB का प्रभार दिया है.

महाराष्ट्र के सोलापुर के पुलिस परिवार में 30 मार्च 1980को जन्में आरिफ शेख ने अपना बचपन मुंबई में बिताया. मुंबई के सेंट लारेंस स्कूल से स्कूल शिक्षा हासिल करने वाले आरिफ शुरुआती कक्षाओं में गणित में कमजोर हुआ करते थे, लेकिन बिग बी याने अमिताभ बच्चन के एक आटोग्राफ लेने के चक्कर में पड़ी पिता की पिटाई ने जिंदगी को पटरी पर ला दिया.

पिता की पिटाई के बाद गणित में की गई मेहनत से आठवीं, दसवीं और बारहवीं की परीक्षा अच्छें अंकों से पास की. बल्कि पुणे यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी टॉप रैंक के साथ पास की. स्थापित कंप्यूटर कंपनी एचसीएल में अच्छी नौकरी भी लग गई, लेकिन मन तो पुलिस अधिकारी बनने का था, सो पिताजी से दिल की बात कही. पिताजी ने भी चैलेंज दिया अगर एक ही बार में यूपीएससी निकाल लिए तो ठीक नहीं तो नौकरी पर वापस लौट जाना.

आरिफ शेख ने चैलेंज स्वीकार किया और मई 2004 में प्री एक्जाम दिया और फिर पहले ही अटेंप्ट में 91वें रैंक के साथ यूपीएससी क्लीयर कर लिया. इसके साथ वर्ष 2005 कै़डर में छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस ऑफिसर बने. बहुतों के लिए यह मंजिल हो सकती है, लेकिन आरिफ शेख ने इसके आगे भी सफर करने की ठान रखी थी, लिहाजा प्रदेश के जिस जिले में पोस्टिंग हुई, वहां ऐसा काम किया कि लोगों को आज भी याद है.

सुलझाया कारोबारी के अपहरण का हाई प्रोफाइल मामला

रायपुर के हाईप्रोफाइल कारोबारी प्रवीण सोमानी के अपहरण मामले को सुलझाना आईपीएस आरिफ शेख की बड़ी उपलब्धि है. गुजरात के सूरत जेल में बने इस अपहरण प्लान को सुलझाने के लिए बतौर रायपुर पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख ने लीड करते हुए यूपी जाकर मोर्चा संभाला और मिल रहे सुरागों पर काम करते हुए आरोपियों को धर दबोचा.

इन अभियानों से बनी अलग पहचान

चुप्पी तोड़

घरेलू हिंसा को रोकने के लिए रायपुर में शुरू किया गया चुप्पी तोड़ अभियान सफल रहा. इसमें घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना के मामले निकालकर पीड़ित महिलाओं से फोन पर बात की. 29 अप्रैल से लेकर 6 मई तक ऐसे 224 मामलों में कार्रवाई हुई, जिसमें 197 मामलों में समझौता फोन पर ही हो गया. 27 में घर जाकर बात करनी पड़ी. दो को हिरासत में लिया गया.

हर हेड हेलमेट

रायपुर शहर के लोगों का सहयोग लेकर ‘हर हेड हेलमेट’ मुहिम रायपुर में चलाई.. इंडिपेंडेंस डे के दिन रायपुर पुलिस ने 15,000 हेलमेट बांटकर रिकॉर्ड बनाया. इसके लिए रायपुर पुलिस को इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का अवॉर्ड मिला. 2019 में उनको IACP ने इन्हीं कामों के लिए अपनी 40 अंडर 40 लिस्ट में जगह दी.

राखी विद खाकी

इसके पहले बिलासपुर में ‘राखी विद खाकी’ मुहिम चलाई, जिसमें महिलाओं को पुलिस से जोड़ा गया, ताकि वो अपनी समस्याएं खुलकर पुलिस को बता सकें.

आमचो बस्तर-आमचो पुलिस

बस्तर पुलिस अधीक्षक के तौर पर उन्होंने ‘आमचो बस्तर-आमचो पुलिस’ नाम की मुहिम चलाई. इसमें आदिवासियों को पुलिस से जो़ड़कर नक्सली रिश्तेदार को सरेंडर करवाया. सरेंडर करने वाले नक्सलियों का पुनर्वास करवाया. इसके साथ उन्हें कौशल बनाकर जीवकोपार्जन के लायक बनाया. इस काम के लिए उनको IACP का होमलैंड सिक्योरिटी अवॉर्ड मिला.

कम्युनिटी पुलिसिंग

2013 में बालोद में नौकरी के दौरान आरिफ शेख ने ‘कम्युनिटी पुलिसिंग’ पर जमकर काम किया. वूमेन इंपावरमेंट के लिए, साइबर क्राइम कंट्रोल के लिए. 2016 में इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ चिफ्स ऑफ पुलिस (IACP) ने इसके लिए उनको अवॉर्ड भी दिया.

एसएसपी आरिफ शेख राजधानी में पदस्थ रहते हुए कई मामलों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाते थे । साथ ही टीम को लीड कर के 90 प्रतिशत मामलों को महज 24 घंटों में ही सुलझा लिया गया । प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कई बार उनकी तारीफ की है.