Bihar News: दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट आज IRCTC होटल लीज घोटाले मामले में अपना अहम फैसला सुनाने जा रही है। इससे पहले, कोर्ट ने 29 मई को सुनवाई पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। यह मामला उस दौर से जुड़ा है जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

जानें क्या है पूरा मामला?

यह घोटाला भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) के अंतर्गत रांची और पुरी स्थित दो बीएनआर (BNR) होटलों की लीज प्रक्रिया से जुड़ा है। आरोप है कि इन होटलों के रखरखाव और संचालन के लिए टेंडर प्रक्रिया में कई गंभीर अनियमितताएं की गईं। टेंडर मेसर्स सुजाता होटल्स को दिया गया, जो कि कोचर बंधुओं की स्वामित्व वाली कंपनी है।

CBI के अनुसार, इस टेंडर प्रक्रिया को उस समय IRCTC के प्रबंध निदेशक पी.के. गोयल ने पूरा किया। इस सौदे के पीछे कथित रूप से लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को लाभ पहुंचाया गया।

1.47 करोड़ में बेची थी जमीन

CBI की जांच में सामने आया है कि 2005-06 के दौरान, इन होटलों की लीज के बदले लालू प्रसाद यादव के परिवार को पटना की प्रमुख लोकेशन बेली रोड पर स्थित लगभग तीन एकड़ कृषि भूमि मिली। यह जमीन कोचर बंधुओं ने सरला गुप्ता की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (DMCL) को महज 1.47 करोड़ रुपये में बेची थी। उसी दिन रेलवे बोर्ड ने इन होटलों को IRCTC को ट्रांसफर करने का फैसला लिया था।

इसके बाद यह जमीन लालू परिवार की कंपनी ‘लारा प्रोजेक्ट्स’ को मात्र 65 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दी गई, जबकि उस समय सर्किल रेट के अनुसार इसकी कीमत 32 करोड़ रुपये और बाजार मूल्य लगभग 94 करोड़ रुपये आंका गया था।

जमीन खरीद-फरोख्त में गड़बड़ियां

इस जमीन को कृषि भूमि दिखाकर बेहद कम कीमत पर बेचा गया और स्टांप ड्यूटी में भी कथित अनियमितताएं सामने आईं। CBI का दावा है कि यह पूरा ट्रांजैक्शन एक प्रकार की बेनामी डील थी, जिससे लालू यादव के परिवार को प्रत्यक्ष रूप से लाभ हुआ।

7 साल तक हो सकती है सजा

CBI ने 17 जुलाई 2017 को इस मामले में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसके साथ ही 12 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। फिलहाल तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी इस मामले में जमानत पर हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत में CBI अपने आरोपों को साबित करने में सफल होती है, तो दोषियों को अधिकतम 7 साल तक की सजा हो सकती है।

आज का दिन निर्णायक

करीब आठ साल पुराने इस मामले में आज का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अदालत के फैसले पर पूरे राजनीतिक और कानूनी गलियारों की नजरें टिकी हैं। यदि अदालत का फैसला CBI के पक्ष में आता है, तो यह लालू परिवार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

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