रायपुर। लोहे की बढ़ती कीमतों ने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. आश्चर्य की बात तो यह है कि लोहे का सबसे ज्यादा उत्पादन भी छत्तीसगढ़ में ही होता है, उसके बावजूद भी लोहे के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. इसकी एक वजह रॉ मटेरियल का महंगा होना भी बताया जा रहा है. इतना ही नहीं कोयले की सप्लाई सिर्फ पावर प्लांट को ही की जा रही है, स्टील प्लांट वाले ब्लैक मार्केट से कोयला लाने को मजबूर है.

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मामले में छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन उद्योग एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने कहा कि लोहे के मामले में पूरे भारत को छत्तीसगढ़ ही लीड करता है, सबसे ज्यादा उत्पाद भी इसका छत्तीसगढ़ से ही होता है और कीमत बढ़ने का मुख्य कारण रॉ मटेरियल का महंगा होना है, पिछली बार आयरन महंगा हुआ था,अभी मुश्किल से उसके दाम थमे ही थे कि कोयला 3 गुना महंगा हो गया है.

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कोयले की सप्लाई सिर्फ पावर प्लांट को ही जा रही है. स्टील प्लांट वाले ब्लैक मार्केट से कोयला लाने को मजबूर है. लोहे की बढ़ती कीमतों की वजह से व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है, लोहे के दाम रिटेल में 63 रूपए प्रति किलो के आस-पास चल रहे हैं, इंडस्ट्री से 62 रूपए प्रति किलो के आसपास लोहा प्राप्त हो रहा है, और उसमें भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगाई जा रही है. अगर जीएसटी की बात करें तो करीब 30 हजार जीएसटी का शुल्क ही लग रहा है, अगर 4-5 दिनों में कोयले की सप्लाई बहाल नहीं हुई तो यूनिट बंद होने का खतरा है, ऐसा होगा तो लोहे के दाम 100 प्रति किलो रूपए तक भी हो सकते है.