कुमार इंदर, जबलपुर। कोरोना की इस भयानक आपदा में भी सरकारी विभागों की लापरवाहियां है कि थमने का नाम ही नहीं ले रही है। जबलपुर में रहने वाली अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी की कोराना जांच रिपोर्ट उस तक तो नहीं पहुंची लेकिन 20 दिन बाद उसके घर पर कोविड पॉजीटिव का पोस्टर लगाने निगम कर्मी पहुंच गए। वह भी तक जब वो पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी थीं।

जबलपुर के सिविल लाइन रिज रोड निवासी वुशु खिलाड़ी श्रद्धा यादव का कहना है कि 6 अप्रैल को बुखार आने पर उन्होंने विक्टोरिया हॉस्पिटल में कोरोना जांच कराई थी। आरटीपीसीआर जांच के बाद 48 घंटों में उनकी जांच रिपोर्ट आनी थी लेकिन 26 अप्रेल तक उनकी कोई रिपोर्ट नहीं आई।

जब तीन दिन बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं आई तो 10 अप्रैल को उन्होंने खुद को आइसोलेट कर लिया और डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लेना शुरु कर दिया था। जिसके बाद वो ठीक भी हो गई। लेकिन 26 अप्रेल को अचानक नगर निगम की टीम उनके घर पहुंची और दरवाजे पर कोविड पॉजीटिव का पोस्टर लगा दिया जबकि श्रद्धा और उनका परिवार पूरी तरह स्वस्थ हो चुका है।

इसमें भी कर्मियों ने होशियारी दिखाते हुए पोस्टर में 4 दिन पहले की तारीख याने कि 22 अप्रेल की तारीख दर्ज कर दी और श्रद्धा को बताया कि उनकी रिपोर्ट 10 अप्रेल को ही पॉजीटिव आ गई थी।

इस पूरे मामले दोनों सरकारी विभाग निगम और स्वास्थ्य विभाग कटघरे में है। ऐसे में सवाल यह है उठता है कि जब 10 अप्रेल को श्रद्धा की रिपोर्ट आ चुकी थी तो उसे बताया क्यों नहीं गया ? उसे चिकित्सकीय परामर्श क्यों नहीं दिया गया ? समय रहते अगर श्रद्धा ने खुद उपचार नहीं किया होता तो कोई भी बड़ी घटना घट सकती थी, जिसका जवाबदार कौन होता ?

यही वजह है कि श्रद्धा ने ऐसे लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई किये जाने की मांग की है।वा