संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी. मुंगेली जिले के लोरमी में कृषि उपज मंडी समिति सचिव ने नियम विरुद्ध करोड़ों रुपए के विकास कार्यों की निविदा निकाल दी है. लल्लूराम डॉट कॉम ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था. इस मामले में उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने संज्ञान लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से यह बात संज्ञान में आया है, क्या मामला है इसके लिए निश्चित रूप से बातचीत करूंगा. अब देखना होगा कि मंत्री क्या एक्शन लेते हैं. वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस नेता मनीष त्रिपाठी ने जल्द ही गलत तरीके से निकाले गए निविदा को निरस्त कर नियमानुसार कार्रवाई करने की मांग की है.

प्रदेश में जहां सुशासन तिहार चल रहा है, वहीं लोरमी विधानसभा में अधिकारी की मनमानी से शासन को करोड़ों रुपए नुकसान पहुंचाने का काम मंडी के अधिकारी कर रहे हैं. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं लोरमी विधायक अरुण साव गुरुवार को अपने विधानसभा क्षेत्र के रामहेपुर एन में समस्या निवारण शिविर में शिरकत करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत के दौरान लोरमी कृषि उपज मंडी समिति में नियम विरुद्ध 6 करोड़ से अधिक राशि के निकाले गए 59 कामों के मैन्युअल निविदा मामले में संज्ञान लेने की बात कही.

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बता दें कि आज ही उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कुम्हारी नगर पालिका कार्यालय का निरीक्षण किया. इस दौरान कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए. इस बीच अटेंडेस रजिस्टर में गड़बड़ी मिलने पर साव ने फटकार लगाकर अनुपस्थित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए.

बड़ा सवाल – कब तक जांच के बाद होगी विभागीय कार्रवाई

विदित हो कि कुछ महीने पहले छत्तीसगढ़ में सड़क निर्माण की गुणवत्ता को लेकर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने सख्ती दिखाई थी, जहां रायपुर के मोवा ओवरब्रिज में मरम्मत कार्य में लापरवाही की जानकारी पर उन्होंने कार्य स्थल का औचक निरीक्षण कर अफसर की क्लास लगा दी थी. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब रायपुर सहित अनेक स्थानों पर डिप्टी सीएम ने लगातार गुणवत्ता में कोई भी समझौता नहीं करने की हिदायत दी है. अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही जा रही है तो बड़ा सवाल यह उठता है कि उनके ही विधानसभा क्षेत्र में जब नियम विरुद्ध करोड़ों रुपए के टेंडर मंडी बोर्ड के अधिकारी द्वारा जारी किए जा रहे हैं तो इस मामले में कब तक जांच के बाद विभागीय कार्रवाई की जाएगी.

पारदर्शिता के साथ विकास काम में तेजी लाने बदला गया है नियम

बता दें कि पहले ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया 20 लाख रुपए या उससे अधिक के काम में अनिवार्य था, जिसे अब घटाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया है. इसे सरकार के कामकाज, प्रशासनिक प्रक्रिया सहित ठेका प्रणाली को व्यवस्थित और भ्रष्टाचार में कमी लाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है, ताकि पारदर्शिता के साथ विकास काम तेजी से हो. बावजूद प्रदेश के लोरमी में मंडी सचिव ने नियम विरुद्ध 6 करोड़ से अधिक राशि के 59 निर्माण कार्यों का टेंडर निकाल दिया है.