गरियाबंद। जिला स्तर पर सहायक शिक्षक (एलबी) को पदोन्नति करने की प्रकिया जारी है. इसी कड़ी में आज दूसरे दिन फिंगेश्वर ब्लॉक में भारी हो हंगामे के बीच काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी की गई. हंगामे की वजह महिला शिक्षकों को नजरअंदाज करने की बताई जा रही है.
महिलाओं के समर्थन में पहुंचे जिला पंचायत सदस्य मधुबाला रात्रे ने बताया कि काउंसलिंग के लिए तय नियम के मुताबिक दिव्यांग के बाद महिलाओं को प्राथमिकता दी जानी थी, लेकिन डीईओ की मौजूदगी में हुए काउंसलिंग प्रक्रिया में नियम की धज्जियां उड़ाई गई हैं.
जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि फिंगेश्वर में प्रधान पाठक के 84 पद रिक्त थे. जबकि काउंसलिंग में 117 शिक्षकों के नाम शामिल हैं. यानी 33 शिक्षक जो अतिरिक्त पदोन्नत होंगे, उन्हें नियम के मुताबिक देवभोग विकासखण्ड में पदस्थ किया जाएगा. ऐसे में कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियम को तोड़ दिया गया.
महिलाओं के क्रम में पुरुष शिक्षक के नाम को लिस्टिंग किया गया. इस अनियमितता के चलते 7 महिला शिक्षक गृह ब्लॉक में पदस्थ होने से वंचित हुई हैं. पदोन्नत हुए महिलाओं ने बताया कि घर परिवार और दूध मुंहे बच्चे को छोड़कर 200 किमी दूसरे ब्लॉक नौकरी करने जा पाना मुश्किल है.
सभी ने तोड़े गए नियम को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है. आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जनक ध्रुव ने भी मामले में कलेक्टर प्रभात मलिक से बात कर डीईओ की मनमानी पर नाराजगी जताते हुए, महिलाओं के हित को ध्यान में रखने का आग्रह किया है.
मामले में डीईओ डीएस चौहान का कहना है कि काउंसलिंग नियम के हिसाब से ही हुई है. वरिष्ठता के आधार पर ब्लॉक के 84 पदों पर पदोन्नति की गई है. वहीं अतिरिक्त 33 में से जो दूसरे ब्लॉक नहीं जाना चाहते वो लिखित में दे रहे हैं, जिन्हें पदोन्नत होना है, उन्हें देवभोग ब्लॉक में पदस्थ होना पड़ेगा.
20 टांके लगने के बाद भी हक के लिए लड़ने पहुंची शिक्षिका
काउंसलिंग के दौरान एक अलग तस्वीर सामने आई, जिसमें दुर्घटना में घायल बरोंडा में पदस्थ शिक्षक रूचि साहू को घायल अवस्था में काउंसलिंग में आना पड़ा. रूचि 20 जनवरी को एक हादसे का शिकार हो गईं थीं. राजिम के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. सिर पर टांके लगे हुए हैं. ड्रिप भी चढ़ाया जा रहा है.
जब उन्हें पता चला कि काउंसलिंग में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं है, तो वे जिस हाल में थीं, उसी हाल में फिंगेश्वर के काउंसलिंग स्थल पहुंच गई. अस्पताल प्रबंधन से आग्रह कर वे एम्बुलेंस में आई थी. मीडिया के दखल के बाद रूचि को उसके पदस्थ स्कूल बरोंडा में ही पोस्टिंग दे दी गई है.
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