कुमार उत्तम/मुजफ्फरपुर: जिले के बोचहा प्रखंड और मुसहरी प्रखंड को जोड़ने वाला बहुप्रतीक्षित आथर घाट पुल, जो कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा बनवाया जा रहा है. उद्घाटन से पहले ही दरकने लगा है. पुल की रेलिंग के पिलर, स्लैब और बिम्ब में दरारें और टूट-फूट देखी जा रही हैं, जिससे आम लोगों में आक्रोश है और निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. 

तकनीकी खामियां हो रही उजागर 

दरअसल, इस पुल का निर्माण कार्य मैसर्स गणेशराम डोकनिया के जिम्मे था. पुल का शिलान्यास वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया था. निर्माण कार्य वर्षों तक धीमी गति से चलता रहा और अब जब यह लगभग पूरा हो चुका है, तो उद्घाटन से पहले ही इसकी तकनीकी खामियां उजागर हो रही हैं.

पुल के सरिए दिखने लगे बाहर 

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुल पर से हल्के वाहनों के गुजरने पर भी वाइब्रेशन और दरारें बढ़ जाती हैं, जो भविष्य में किसी बड़े हादसे की चेतावनी है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई है. बरसों तक फूल की मांग को लेकर लड़ाई लड़ने वाले देवव्रत भी नाराज हैं. इन लोगों का कहना है कि जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और सरकारी धन का खुला दुरुपयोग हुआ है. वे निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच और संबंधित अधिकारियों व ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे है.

जान जोखिम में डाल सकता है यह पुल 

प्राप्त जानकारी के अनुसार जल्द ही पुल की स्थिति की तकनीकी जांच टीम भेजे जाने की संभावना है. पुल की गड़बड़ी उजागर होते ही ठेकेदार द्वारा आनन-फानन में पेचवर्क शुरू किए गए हैं, लेकिन पुल को बचाने का यह समाधान नहीं है. बिहार में सरकारी योजनाओं का क्या हर्ष होता है. इसका एक बेहतरीन उदाहरण आथर घाट पुल है. पुल बनने में 2014 से 2025 तक लग गया, लेकिन अब यह पुल जनता की जान जोखिम में डाल सकती है. इसलिए इस मामले में तत्काल मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप कर पारदर्शिता से जांच करनी चाहिए, ताकि बिहार में एक और पुल गिरने का कीर्तिमान स्थापित न हो. 

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