महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में महायुति को कम सीटें मिलने पर बयानबाजी तेज हो गई है. बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की NCP कारणों की तलाश में जुटे हैं. तीनों दल विपक्ष पर संविधान के बारे में झूठा प्रचार करने का आरोप लगा रहे हैं.

RSS के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ में कहा गया है कि महाराष्ट्र में बीजेपी की लोकसभा चुनाव में हार का एक कारण उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली NCP के साथ गठबंधन था. अब अटकलें लग रही हैं कि क्या बीजेपी अजित पवार से गठबंधन तोड़ देगी. ऐसा भी माना जा रहा है कि बीजेपी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ सकती है.

‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि RSS बीजेपी नेतृत्व के NCP को तोड़ने और लोकसभा चुनाव से पहले अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के साथ गठबंधन करने के फैसले से खुश नहीं है.

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “RSS-BJP कार्यकर्ताओं को पवार विरोधी नारे के साथ तैयार किया जा रहा है. सिंचाई और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटालों से जुड़े होने के कारण वे अजित पवार के विरोधी हैं. लेकिन जूनियर पवार के BJP से हाथ मिलाने के बाद पवार विरोधी बयान पीछे छूट गया. उन्हें महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री बना दिया गया.”

उन्होंने आगे कहा, “लोकसभा चुनावों में यह स्पष्ट था कि RSS-BJP के कार्यकर्ता NCP उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए तैयार नहीं थे और कई जगहों पर आत्मसंतुष्ट रहे. नतीजतन, 2019 में बीजेपी की सीटों की संख्या 23 से घटकर 2024 में नौ रह गई.” आजीवन आरएसएस कार्यकर्ता रतन शारदा ने ऑर्गनाइजर में अपने लेख में कहा कि अजित के साथ गठबंधन करने से “बीजेपी की ब्रांड वैल्यू” कम हो गई और यह “बिना किसी अंतर वाली एक और पार्टी” बन गई.

सूत्रों ने कहा कि बीजेपी नेतृत्व इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अजित के साथ गठबंधन न करने के प्रभाव पर विचार कर रहा है. “अगर हमारी पार्टी अजित को छोड़ देती है और विधानसभा चुनावों में शिंदे के साथ आगे बढ़ती है, तो ऐसा लग सकता है कि बीजेपी ने अजित का इस्तेमाल किया और बाद में उन्हें फेंक दिया. यह नीति उलटी पड़ सकती है. लेकिन एक और परिदृश्य यह है कि अजित को सहयोगी के रूप में रखना फायदेमंद नहीं हो सकता है.”