रायपुर। सबसे पहले तो आपको बताते हैं कि लोग ऐसा क्यों करते हैं. दरअसल, पेट्रोल पंप पर 100, 200, 500, 1000 जैसे अमाउंट की एंट्री के लिए वन बटन सिस्टम होता है. यानी जिस अमाउंट में ज्यादा पेट्रोल बिकता है, उसके कोड सेट रखे जाते हैं. इससे होता क्या है कि अगर कोई 200 रुपये का पेट्रोल मांगता है तो सिर्फ एक कोड का एक ही बटन दबाना होता है और 200 नहीं लिखना पड़ता है. ऐसे में 4 बटन की जगह एक ही बटन दबाना होता है और काम हो जाता है. लेकिन, लोगों का मानना है कि जब पेट्रोल पंप वाले ये कोड सेट करते हैं तो उसमें बेईमानी कर लेते हैं और अपने हिसाब से लिमिट तय करते हैं.

लोगों को इस शॉर्टकट की पर विश्वास नहीं होता है और ऐसे में लोग अपना अलग अमाउंट बताते हैं. क्या इससे फायदा होता है? लोग भले ही इस ट्रिक से पेट्रोल भरवाकर खुश होते हैं, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि इससे सही में फायदा होता है और शॉर्टकट बटन से पेट्रोल लेने पर कम पेट्रोल आता है. अगर आपको पेट्रोल पंप पर शक है तो इसकी सत्यता आप सरकारी रुप से मान्यता प्राप्त लीटर मेजरमेंट मग के जरिए पेट्रोल पंप की जांच करवा सकते हैं. इसके जरिए ही आप पता लगा सकते हैं कि पेट्रोल पंप ने जितना पेट्रोल मांगा है, उतना ही दिया है.


इस विषय पर कुछ एक्सपर्ट का कहना है यह एक बहुत बड़ी भ्रांति है जोकि व्हाट्सएप विश्वविद्यालय द्वारा फैलाया गया है. आप तेल चाहें 100, 110 का लेन या 120 का ले सबका प्रभाव या दुष्प्रभाव एक जैसा ही रहता है। पहली चीज जो जानना जरूरी है कि पेट्रोल पंप का मशीन लीटर में तेल देने के लिए बनाए जाते हैं जिन्हें तकनीकी तौर पर फ्लो मीटर कहा जाता है। अर्थात लीटर से रुपये का कन्वर्जन सॉफ्टवेयर के जरिए होता है जिसमें आप पेट्रोल का रेट फ्लो मीटर के सॉफ्टवेयर में डालते हैं और उससे बैक कैलक्यूलेट करके ₹100, ₹110 या ₹120 में कितना तेल आएगा यह गणना ही जाती है। जाहिर है इस गणना में कुछ राउंड ऑफ होगा जैसे 10.24 लीटर को 10.2 लीटर कर दिया जाएगा तो आपक इतना तेल कम मिलेगा.


इसलिए सबसे बेहतर है की आप लीटर के हिसाब से तेल लें. यथा 5 लीटर 8 लीटर 10 लीटर 20 लीटर और कभी भी पेट्रोल पंप वाले के प्रलोभन में नहीं आए कि उनके पास रेजगारी नहीं है तो 10 लीटर की जगह 10 पॉइंट 3 लीटर कर दें। पेट्रोल पंप के फ्लो मीटर का कैलिबेरशन और जांच लीटर में करता है तेल कंपनी वाले भी यही जांच करते हैं – क्योंकि किसी निर्धारित तापक्रम पर पेट्रोल का घनत्व स्थिर है और उसमें कोई बदलाव संभव नहीं है जबकि पेट्रोल का दर हमेशा बदलते रहता है। पैसे से लीटर में कन्वर्जन की जांच इस तरह से नहीं की जाती है बल्कि जो स्टैंडर्ड सॉफ्टवेयर है जो तेल कंपनी द्वारा दिया जाता है उसी के भरोसे रहता है.

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