प्रतीक चौहान. अब रायपुर रेलवे स्टेशन में बाहरी व्यक्तियों को खाना बेचने के लिए किसी भी अनुमति की जरूरत नहीं होगी ? सिर्फ सेटिंग से काम चल जाएगा ? या बिना सेटिंग के भी आप खाना बेचने के काम रेलवे स्टेशन में कर सकेंगे ? इन सभी सवालों के जवाब तो रेलवे का कमर्शियल विभाग ही देगा. लेकिन अभी रायपुर रेलवे स्टेशन का आलम ये है कि यहां बिना किसी वेंडिंग अनुमति के धडल्ले से प्लेटफार्म में अनाधिकृत वेंडर खाना बेच रहे है. अब ये रेलवे अधिकारियों और आरपीएफ के लिए जांच का विषय है कि ये सेटिंग के बाद बेच रहे है या बिना सेटिंग के!
रायपुर रेलवे स्टेशन में अवैध वेंडिंग को रोकने के लिए कमर्शियल विभाग के एक अलग से पूरी टीम तैयात की है. लेकिन गर्मी में कहां कोई ड्यूटी करता है… शायद इसी सोच का फायदा उठाकर अनाधिकृत वेंडर धडल्ले से खाना बेच रहे है. क्योंकि उन्हें पता है कि रेलवे स्टेशन में उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाली आरपीएफ और कमर्शियल की टीम स्टेशन से नदारद है या यू कहें कि उन्हें इस टीम पर इतना भरोसा है कि वो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे.
प्लेटफार्म नंबर 5-6 में लल्लूराम की टीम ने करीब आधे दर्जन से अधिक अनाधिकृत वेंडरों को बिना अधिकृत कार्ड के खाना बेचते हुए अपने कैमरे में कैद किया. सबका यही जवाब था कि वो आरआर कैंटीन के स्टॉफ है और उन्हें बिना एमआरपी और कार्ड के प्लेटफार्म में वेंडिंग कराने के लिए भेजा गया है.
इनके द्वारा बेचा जा रहा खाना कब बना है, कितना का है और इसको बेचने वाला मालिक कौन है इसकी कोई भी जानकारी खाद्य पदार्थ में नहीं लगी है और न ही रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों को इससे कोई मतलब है. यही कारण है कि अवैध वेंडर और उनके मालिक ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे है. लल्लूराम ने उपरोक्त जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को खबर छापने के पहले ही फोन कर उपलब्ध करा दी है.