रायपुर- इज आॅफ डूइंग बिजनेस पर जारी केंद्र की ताजा रैंकिंग में छत्तीसगढ़ को मिले छठवें पायदान को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा है कि छठवें पायदान पर आने के बावजूद राज्य सरकार ने इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रोजेक्ट किया है, लेकिन हकीकत कुछ और है. पीसीसी चेयरमेन भूपेश बघेल ने सवाल खड़े करता हुए पूछा है कि साल 2015 और 2016 में इज आॅफ डूइंग बिजनेस में छत्तीसगढ़ का कौन सा स्थान था? सरकार को इसे सामने लाया जाना चाहिए.
भूपेश बघेल ने कहा कि साल 2016 में इज आॅफ डूइंग में छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर था. 2015 में भी राज्य पांच शीर्ष राज्यों की कतार में शामिल था, लेकिन ताजा सूची में प्रदेश शीर्ष पांच राज्यों की सूची से बाहर हो गया है. बघेल ने कहा कि औंधेमुंह गिरना भी क्या सरकार की उपलब्धि बन गई है? सूची में दो पायदान गिरने के बाद भी यदि उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया जा रहा है तो यह जनता को गुमराह करने का एक जीता जागता सबूत है. पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने पूछा है कि यदि कारोबार के लिए सकारात्मक माहौल के मामले में छत्तीसगढ़ का स्थान है तो छत्तीसगढ़ में विगत पांच वर्षों में कौन सा बड़ा उद्योग लगा या लगाने की घोषणा हुई है? उल्टे यह हुआ है कि बस्तर में ज़मीन अधिग्रहण के बाद टाटा जैसी कंपनी ने छत्तीसगढ़ छोड़ने का निर्णय लिया और वीडियोकॉन ने अपना बिजलीघर न लगाने का फ़ैसला किया. उन्होंने कहा है कि सरकार को यह भी बताना चाहिए कि इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के इस थोथे तमगे के बाद उनकी विदेश यात्राओं का क्या फल मिला.
बघेल ने कहा कि सच तो यह है कि भारत सरकार के विभाग Department of Industrial Policy and Promation (DIPP) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 से 2017 के मध्य देश मे हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI ) का म.प्र.एवं छत्तीसगढ़ मे मिलाकर कुल एफडीआई का मात्र 0.41 हिस्सा ही आया. इस तरह देखा जाए तो छ्त्तीसगढ़ के हिस्से कुल एफडीआई का 0.2 प्रतिशत से भी कम हिस्सा आया. अपार संभावनाओं वाले राज्य में नाम मात्र का एफडीआई आना राज्य सरकार के कुशासन एवं असफलता का प्रमाण है. DIPP के आंकड़ो के अनुसार जनवरी 2016 से जनवरी 2018 के मध्य देश के कुल निवेश प्रस्तावों मे से छत्तीसगढ़ मे मात्र 2 प्रतिशत प्रस्ताव ही प्राप्त हुए है. देश के अन्य राज्यों की तुलना में राज्य का प्रदर्शन अत्यंत दयनीय है.
भूपेश बघेल ने कहा कि कारोबार के लिए सकारात्मक माहौल का सूचकांक निर्माण की अनुमति श्रम नियमों का पालन पर्यावरण की स्वीकृति, सूचनाओं तक पहुंच, भूमि की उपलब्धता और एकल खिड़की प्रणाली को लागू करने आदि पर निर्भर करती है और यह मानना पड़ेगा कि भाजपा की सरकार ने अपने कारोबारी दोस्तों के लिए जनहित को ताक पर रखकर बहुत रियायतें दी हैं. इसमें भू-अधिग्रहण से लेकर पर्यावरण की मंज़ूरी तक सब शामिल है. उन्होंने कहा है कि श्रम नियमों को ताक पर रखकर अगर, किसानों की ज़मीन हड़पकर बिना मुआवज़ा दिए और पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना उद्योग लगाना अगर शर्तें हैं तो छत्तीसगढ़ सरकार को छठें स्थान पर नहीं बल्कि पहले स्थान पर रखना चाहिए. अपने बयान में उन्होंने कहा है कि सरकार ने दरअसल किसानों का पानी उद्योंगों को देकर और अपने अमीर दोस्तों के लिए जंगल काटकर खनन करने के लिए बहुत सकारात्मक माहौल बनाया है लेकिन इससे छत्तीसगढ़ को अपूरणीय क्षति हुई है. उनका कहना था कि यदि जनता को हाशिए पर रखकर विकास इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस है तो छत्तीसगढ़ को ऐसा तमगा नहीं चाहिए.