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व्यक्ति के कर्म या उसके द्वारा किए गए कुछ पिछले कर्मों के परिणामस्वरूप कालसर्प योग दोष कुंडली में होना माना जाता है. इसके अलावा, यदि व्यक्ति ने अपने वर्तमान या पिछले जीवन में सांप को नुकसान पहुंचाया हो तो भी काल सर्प योग कुंडली में बनता है. कालसर्प दोष राहु-केतु की विशेष स्थिति के कारण उत्पन्न होता है, जिससे जीवन में अनेक बाधाएं आती हैं. इसे शांत करने के लिए विभिन्न ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं. इन उपायों को नियमित रूप से करने से सर्प दोष की शांति प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
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मंत्र जप
नीलकंठ स्तोत्र के 700 श्लोक, पितृ गायत्री और ब्रह्म गायत्री के 11,000 श्लोक जपें.
भगवान विष्णु के 31,000, भगवान शिव के 21,000, और राहु-केतु के सवा लाख मंत्रों का जप करें.
ॐ नम: शिवाय मंत्र की प्रतिदिन 11 माला जप करें.
ॐ नमो नारायणाय मंत्र की 11 माला का नियमित जप करें.
पाठ और अनुष्ठान
नव नाग स्तोत्र और हनुमान चालीसा का तीन लाख बार पाठ करें.
श्रावण मास में सोमवार का व्रत रखें.
सर्प सूक्त और शिव चालीसा का पाठ करें.
शिव सहस्रनाम, गायत्री चालीसा, भैरवाष्टक और दुर्गा चालीसा का पाठ करें.
दान और अर्पण
पक्षियों और चींटियों को तिल, चावल और अचार वाली सब्जियां खिलाएं.
काले कपड़े में नारियल और 11 साबुत बादाम बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें.
शनि ग्रह के लिए उपयुक्त ब्राह्मण को सोने या चांदी से बने सर्प दान करें.
मंदिर में सप्त अन्न दान करें.
पूजा और उपासना
घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पीले फूल रखें.
भगवान गणेश की पूजा करें, जिससे केतु की पीड़ा शांत होती है.
देवी सरस्वती की उपासना करने से राहु के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं.
प्रतिदिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और पारे या मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा करें.
अन्य उपाय:
प्रतिदिन पक्षियों को बाजरा खिलाएं.
रुद्राक्ष की माला से नव नाग नामस्तोत्र का पाठ करें.
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