भोपाल ब्यूरो। बुधवार को विधानसभा में पेश हुए बजट के बीच सदन में बजट से अधिक नर्सिंग घोटाला गूंजा. ऐसा पहली बार हुआ है जब बजट भाषण के बीच किसी मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर विपक्ष पूरे समय आसंदी के सामने बैठकर नारेबाजी करता रहा हो. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष सहित पूरे विपक्ष ने घोटाले के मामले में विश्वास सारंग के खिलाफ कार्रवाई करने का मुददा उठाया. इस बीच डिप्टी सीएम ने बजट भाषण शुरू किया तो विपक्ष के नेता आसंदी के सामने बैठ गए और विश्वास सारंग को मंत्री पद से हटाने की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे. जितनी देर बजट भाषण हुआ, उतनी ही देर सदन में विश्वास सारंग के खिलाफ नारेबाजी होती रही.
मध्य प्रदेश विधानसभा की आसंदी पर स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर के बैठते ही नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मंत्री विश्वास सारंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंत्री विश्वास सारंग ने कल सदन में गलत जानकारी दी है. सदन को गुमराह किया है. स्पीकर ने नेता प्रतिपक्ष को टोका. इस बीच संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि नर्सिंग घोटाले पर कल सदन में चर्चा हो चुकी है. आज इस पर बात करने का कोई मतलब नहीं. नेता प्रतिपक्ष ने सदन को गुमराह करने की बात दोहराई और कहा कि विपक्ष कल से मांग कर रहा है कि सर्वदलीय कमेटी बनाकर जांच करवाई जाए, इस पर स्पीकर ने कहा कि अभी बजट भाषण है. इस पर बाद में चर्चा करेंगे. इस बीच विपक्ष के विधायकों ने हंगामा किया. हंगामा के बीच डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने बजट भाषण शुरू किया तो मंत्री विश्वास सारंग के खिलाफ विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी.
विपक्ष के विधायक आसंदी के सामने बैठ गए और पूरे समय नारेबाजी करते रहे. विपक्ष के नेताओं ने नारे लगाए कि विश्वास सारंग को बर्खास्त करो. विश्वास सारंग इस्तीफा दो. युवाओं को न्याय दो. वित्त मंत्री भाषण पढ़ते रहे और विपक्ष नारेबाजी करता रहा. इस संबंध में मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि मेरे पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. इस मामले में सदन में कल चर्चा हो चुकी है. वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि नर्सिंग घोटाले से लाखों बच्चे परेशान हैं. एक साल में 219 कॉलेज खोले गए, तब विश्वास सारंग मंत्री थे. उन्होंने कहा कि यह घोटाला कोविड के दौरान शुरू हुआ और प्रति सीट वसूली की गई. नर्सिंग फर्जीवाड़े की लड़ाई आगे भी जारी रहेगी.
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क्या है नर्सिंग घोटाला
नर्सिंग घोटाले में कहीं नियमों को ताक पर रखकर तो कहीं कागजों में काॅलेज चलते मिले. इसमें शिक्षा माफिया, नेता और अफसरों का गठजोड़ ऐसा रहा कि जिन काॅलेजों की मान्यता खतरे में आई, उनसे मोटी रकम देकर क्लीनचिट दे दी गई. जांच हुई तो दो-तीन कमरों में नर्सिंग कॉलेज चलते मिले. कॉलेज में न लैब हैं और न ही 100 बिस्तर का अस्पताल. कई कॉलेज में तो फैकल्टी ही नहीं मिली. ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंपी गई. लेकिन सीबीआई के अफसर भी बिक गए. सीबीआई अफसरों ने ही अपने अफसरों को घूस लेते पकड़ा. ये अनसुटेबल कॉलेजों को सुटेबल रिपोर्ट दे रहे थे. हाई कोर्ट के निर्देश पर 66 कॉलेजों को बंद किया है. 19 कॉलेजों में डुप्लीकेट फैकल्टी के खिलाफ कार्रवाई की गई और दो रजिस्ट्रार हटाए गए.
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