ISRO-NASA Joint Mission: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बड़ी डील पर हस्ताक्षर हुए हैं. अमेरिका-भारत ने आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. व्हाइट हाउस ने गुरुवार को कहा कि नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2024 तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं. यह समझौता समस्त मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक सामान्य दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है.

दरअसल, अमेरिका 2025 तक इंसानों को चांद पर ले जाना चाहता है. इसलिए नासा भी इसरो के साथ मिलकर काम करना चाहता है. अब तक 25 देशों ने आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत अब 26वां देश है. आर्टेमिस समझौता समान विचारधारा वाले देशों को एक साथ लाता है.

आर्टेमिस समझौता क्या है ?

आर्टेमिस समझौता अंतरिक्ष की खोज और उपयोग करने वाले देशों द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों का एक समूह है. ये नियम 1967 की अंतरिक्ष संधि (ओएसटी) पर आधारित हैं. इसे 21वीं सदी में अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग का मार्गदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह 2025 तक मनुष्यों को चंद्रमा पर वापस लाने का अमेरिका के नेतृत्व वाला प्रयास है, जिसका अंतिम लक्ष्य मंगल ग्रह और उससे आगे की खोज करना है.

व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि नासा और इसरो इस साल मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग के लिए एक रणनीतिक ढांचा विकसित कर रहे हैं. इसके अलावा नासा और इसरो साल 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर भी सहमत हुए हैं.

सेमीकंडक्टर मिशन: 800 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा

माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने भारतीय राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन के समर्थन से $800 मिलियन से अधिक के निवेश की घोषणा की है। जिसमें भारत में 2.75 बिलियन डॉलर की सेमीकंडक्टर असेंबल और परीक्षण सुविधा शामिल है.

देश में 60,000 भारतीय इंजीनियरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा. साथ ही उन्नत दूरसंचार के लिए 5जी और ओपन रूटिंग सिस्टम समेत अन्य तकनीकों पर मिलकर काम करने की घोषणा की गई है. इससे रोजगार भी बढ़ेगा.

नासा ने कहा था- भारत एक वैश्विक शक्ति

नासा कार्यालय में प्रौद्योगिकी, नीति और रणनीति की सहायक प्रशासक भव्या लाल ने पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले कहा था कि आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करना भारत के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए. नासा को एहसास है कि भारत एक वैश्विक शक्ति है. भारत उन कुछ देशों में से एक है जो चंद्रमा पर गया है, मंगल ग्रह पर गया है, उसे आर्टेमिस टीम का हिस्सा बनने की जरूरत है.

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