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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने नए जमाने का नेविगेशन सैटेलाइट (Navigation Satellite) लॉन्च किया. इस जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल यानी GSLV-F12 से अंतरिक्ष में भेजा गया है. ये सैटेलाइट 2016 में लॉन्च की गई IRNSS-1G सैटेलाइट को रिप्लेस करेगी. इसरो ने 51.7 मीटर ऊंचे रॉकेट से NVS-01 लॉन्च किया. रॉकेट ने सुबह करीब 10:42 बजे उड़ान भरी. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से सुबह 10:42 बजे GSLV ने उड़ान भरी.
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इसरो (ISRO) प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि फिलहाल हम सात पुराने नाविक सैटेलाइट्स के सहारे काम चला रहे थे. लेकिन उनमें से 4 ही काम कर रहे हैं. तीन खराब हो चुके हैं. अगर हम तीनों को बदलते तब तक ये चार भी बेकार हो जाते. इसलिए हमने पांच नेक्स्ट जेनरेशन नाविक सैटेलाइट्स एनवीएस को छोड़ने की तैयारी की.
NVS-01 सैटेलाइट को धरती की जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में 36,568 किलोमीटर ऊपर तैनात किया जाएगा. ये सैटेलाइट धरती के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा. लॉन्च के बाद करीब 18 मिनट में जीएसएलवी रॉकेट धरती 251.52 किलोमीटर ऊपर सैटेलाइट को छोड़ देगा. इसके बाद वह अपनी कक्षा तक की यात्रा खुद करेगा. अपने थ्रस्ट्रर्स की बदौलत वह निर्धारित कक्षा में पहुंच जाएगा.
NVS-01 सैटेलाइट का वजन 2232 किलोग्राम
जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट 51.7 मीटर ऊंचा रॉकेट है. जिसका वजन करीब 420 टन है. इसमें तीन स्टेज हैं. वहीं NVS-01 सैटेलाइट का वजन 2232 किलोग्राम है. यह सैटेलाइट भारत और उसकी सीमाओं के चारों तरफ 1500 किलोमीटर तक नेविगेशन सेवाएं देगा. यह किसी भी स्थान की एक्यूरेट रीयल टाइम पोजिशनिंग बताएगा. यह सैटेलाइट मुख्य रूप से एल-1 बैंड के लिए सेवाएं देगा. लेकिन इसमें एल-5 और एस बैंड के पेलोड्स भी लगाए गए हैं.
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