बंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) भारत का मौरमुकुट है. इसरो की बदौलत आज भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में धाक है. लेकिन यह उपलब्धि बहुत से देशों को खटकती है, जिसका खुलासा इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक डॉ. तपन मिश्रा ने किया है, जिन्होंने तीन साल में तीन बार जान से मारे जाने की कोशिश के बारे में खुलासा किया है.
डॉ. तपन मिश्रा ने 5 जनवरी को फेसबुक पर ‘लॉंग केप्ट सीक्रेट’ नामक से एक पोस्ट में यह दावा किया कि जुलाई, 2017 में गृह मामलों के सुरक्षाकर्मियों ने उनसे मुलाकात कर आर्सेनिक जहर दिये जाने के प्रति उन्हें सावधान किया था. उन्होंने लिखा कि बहुत दिन तक यह रहस्य छुपाया रहा. आखिरकार इसे सार्वजनिक करना पड़ रहा है.
पहली बार 23 मई 2017 को बेंगलुरु मुख्यालय में प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान ऑर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया था. इसे संभवत: लंच के बाद डोसे की चटनी में मिलाया गया था, ताकि लंच के बाद मेरे भरे पेट में रहे. इसके असर से दो साल बहुत ब्लीडिंग हुई, फिर शरीर में फैलकर ब्लड क्लॉटिंग का कारण बने और हार्ट अटैक से मौत हो जाए. लेकिन मुझे लंच अच्छा नहीं लगा, इसलिए चटनी के साथ थोड़ा सा डोसा खाया. इस कारण केमिकल पेट में नहीं टिका. हालांकि, इसके असर से दो साल बहुत ब्लीडिंग हुई.
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने अपने ऊपर दूसरे हमले के बारे में जिक्र करते हुए बताया कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के दो दिन पहले हुआ था. 12 जुलाई 2019 को हाइड्रोजन साइनाइड से मारने की कोशिश हुई. हालांकि, एनएसजी अफसर की सजगता से जान बच गई. और तीसरी बार सितंबर 2020 में आर्सेनिक देकर मारने की कोशिश हुई. इसके बाद मुझे सांस की गंभीर बीमारी, फुंसियां, चमड़ी निकलना, न्यूरोलॉजिकल और फंगल इंफेक्शन समस्याएं होने लगीं.
डॉ. तपन मिश्रा ने अपने पोस्ट में बताते हुए कह कि दो साल से घर में कोबरा, करैत जैसे जहरीले सांप मिल रहे हैं. इससे निपटने के लिए हर 10 फुट पर कार्बोलिक एसिड की सुरक्षा जाली है। इसके बावजूद सांप मिल रहे हैं. एक दिन घर में एल अक्षर के आकार की सुरंग मिली, जिससे सांप छोड़े जा रहे थे. ये लोग चाहते हैं कि मैं इससे पहले मर जाऊं या मारा जाऊं, तो सभी रहस्य दफन हो जाएंगे. देश मुझे और मेरे परिवार को बचा लें.
इसरो में वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर काम कर रहे डॉ. तपन मिश्रा 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं. इसके पहले सोशल मीडिया में पोस्ट कर इसे तंत्र की मदद से किया अंतरराष्ट्रीय जासूसी हमला बताया है. उन्होंने कहा कि बाहरी लोग नहीं चाहते कि इसरो और इसके वैज्ञानिक आगे बढ़ें और कम लागत में टिकाऊ सिस्टम बनाएं. उन्होंने डॉ. विक्रम साराभाई की रहस्यमय मौत का हवाला देकर केंद्र सरकार से जांच की मांग की है.