चेन्नई। ISRO ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लघु उपग्रह प्रक्षेपण वाहन-SSLV-D2 के जरिए तीन उपग्रह EOS-07, Janus-1 और AzaadiSAT-2 उपग्रहों को 450 किमी की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया. पिछले साल 9 अगस्त को SSLV की पहली परीक्षण उड़ान विफल हो गई थी. इसे भी पढ़ें : Rajasthan Budget : सीएम गहलोत ने पिछले साल का पढ़ा बजट, मंत्री ने टोका तो रुके, मांगी माफी

SSLV-D2 के सफल लॉंचिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने उपग्रह बनाने के साथ-साथ उन्हें सही कक्षा में स्थापित करने के लिए सभी 3 उपग्रह दलों को बधाई देते हुए कहा कि हमने एसएसएलवी-डी1 में आने वाली समस्याओं का विश्लेषण किया, सुधारात्मक कार्रवाइयों की पहचान की और इस बार वाहन को सफल बनाने के लिए उन्हें बहुत तेज गति से लागू किया.

एसएसएलवी 34 मीटर लंबा, 2 मीटर व्यास वाला उपग्रह है, जिसका वजन 120 टन है. रॉकेट को तीन सॉलिड प्रणोदन चरणों और एक वेग टर्मिनल मॉड्यूल के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है.

इसरो के अनुसार, एसएसएलवी ‘लॉन्च-ऑन-डिमांड’ के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपण को पूरा करेगा. रॉकेट अंतरिक्ष के लिए कम लागत वाली पहुंच प्रदान करेगा, कम टर्न-अराउंड टाइम और कई उपग्रहों को समायोजित करने में सफलता और न्यूनतम लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग को पूरा करना इसकी प्राथमिकता में शामिल है.

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