भुवनेश्वर. फायरमैन भर्ती मामले की आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अग्निशमन विभाग की भर्ती के लिए प्रकाशित अधिसूचना में आयु सीमा का उल्लेख नहीं होने के कारण कई अभ्यर्थी वंचित रह गए. इसके विरोध में याचिकाकर्ता हिरण्य कुमार सामल और अन्य पार्टिओं ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

न्यायाधीश शशिकांति मिश्रा ने मामले की सुनवाई की और सरकार को प्रार्थी समेत भर्ती प्रक्रिया से वंचित अभ्यर्थियों को एक मौका देने का आदेश दिया. साथ ही आदेश में स्पष्ट किया गया है कि कोर्ट की अनुमति के बिना परीक्षण न किया जाए. अग्निशम सेवा ने 29 अगस्त, 2023 को 826 फायरमैन और 115 फायरमैन driver के पदों को भरने के लिए एक अधिसूचना प्रकाशित की थी. इसमें याचिकाकर्ताओं के आयु सीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी.

सामान्य वर्ग के लिए आयु सीमा 18 से 25 वर्ष है. एससी, एसटी और अन्य के लिए ऊपरी आयु सीमा 5 वर्ष थी. कियोंकि कोविड महामारी के दौरान भर्ती के लिए कोई परीक्षा नहीं हुई है, इसलिए सामान्य वर्ग के बच्चों के लिए ऊपरी आयु सीमा 25 वर्ष से बढ़ाना आवश्यक है. लेकिन ऐसा नहीं करने से कई अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गये हैं. सरकार आयु सीमा को लेकर भी कानून लेकर आयी, जिसमें: आवेदक की आयु सीमा 32 वर्ष से 38 तक किया, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ तो याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने सरकार को याचिकाकर्ता समेत अन्य को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजीव रथ इस मामले की वकालत कर रहे हैं.

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