नई दिल्ली। सुरक्षा में सेंध को संसद में मचे हंगामे के बीच राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान महिलाओं को माहवारी के दौरान छुट्टी देने का मुद्दा उठा. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह कोई विकलांगता नहीं है. इस लिहाज से मासिक धर्म को दौरान महिलाओं को छुट्टी देने की किसी पॉलिसी की जरूरत नहीं है.
राज्यसभा में आरजेडी सांसद मनोज झा की तरफ से बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘हमें कोई ऐसा मुद्दा प्रस्तावित नहीं करना चाहिए, जहां महिलाओं को सिर्फ इसलिए समान अवसरों से वंचित किया जाए कि जिसे माहवारी नहीं आती वह माहवारी के बारे में एक खास तरह की राय रखता है.’
झा ने कहा कि 1990 के दशक की शुरुआत में बिहार पहला राज्य बना था जिसने मासिक धर्म के दौरान छुट्टी दी थी. उसके बाद केरल भी उसी रास्ते पर चला. आरजेडी सांसद ने मंत्री से पूछा कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अनिवार्य तौर पर पेड लीव देने को लेकर क्या किया गया है.
इसके जवाब में ईरानी ने कहा कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. सिर्फ कुछ महिलाओं को उन दिनों में जटिलताओं का सामना करना पड़ता है. ज्यादातर मामलों में सामान्य तौर पर कुछ खास दिक्कत नहीं होती.
उन्होंने कहा कि माहवारी वाली महिला होने के नाते मैं कह सकती हूं माहवारी और उसका चक्र कोई विकलांगता नहीं है. यह महिला की जीवन यात्रा का स्वाभाविक अंग है. चूंकि आज महिलाएं अधिक से अधिक आर्थिक मौकों की तलाश कर रही हैं, मैं इस पर अपनी व्यक्तिगत राय रखना चाहूंगी.
दरअसल, लंबे समय से यह मांग होती रही है कि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अनिवार्य तौर पर छुट्टी दी जानी चाहिए. हालांकि, इस विचार का यह कहकर विरोध भी किया जाता है कि इससे नियोक्ता महिलाओं को नौकरी पर रखने से हिचकेंगे और अनिवार्य छुट्टी महिलाओं के ही हितों के खिलाफ जाएगी.