रायपुर। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन बस्तर के पोलवरम बांध के निर्माण का मामला उठा. जेसीसी विधायक रेणु जोगी ने मामला उठाते हुए कहा कि इससे आदिवासी जनजाति और कई गाँव प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि इसी सदन में पहले संकल्प लाया गया था. क्या केंद्र को पत्र लिखा गया है कि पोलवरम बांध से जनजाति प्रभावित होगी? आंध्रप्रदेश में प्रभावितों को कितना मुआवज़ा दिया जा रहा है? छत्तीसगढ़ के प्रभावितों को कितना मुआवज़ा दिया जा रहा है? इस बांध से बड़ा नुक़सान छत्तीसगढ़ का होगा.
जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कई इलाक़े डुबान क्षेत्र में आ रहे हैं. पोलावरम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लगाया गया है. छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य राज्यों ने भी केस किया हुआ है. पोलावरम बांध का निर्माण आसान नहीं है. जब तक सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला नहीं आ जाता.
उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश में निर्मित यह बांध राष्ट्रीय परियोजना है. पोलावरम बांध के निर्माण की वजह से रि शेडुल लेबल 150 फ़ीट होने पर बस्तर संभाग के सकमा ज़िले के कोंटा विकासखंड के नौ ग्राम बंजाममुड़ा, मेटागुंडा, पेदाकिसोली, आसीरगुंडा, इंजरम, फ़ंदीगुंडा, ढोढरा, कोंटा और वेंकटपुरम के प्रभावित होने का अनुमान है. इन क्षेत्रों की जनसंख्या 18 हज़ार 510 है.
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने क्या पक्ष रखा है? जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने पूछा कि क्या पोलावरम बांध में अधिकारियों की टीम भेजकर पड़ताल की जाएगी? आंध्रप्रदेश यदि तेज़ी से बांध बना लेगा तब उस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट भी तोड़ने को नहीं कहेगा.
जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को लेकर ऐसी टिप्पणी ना करें. गोदावरी जल अभिकरण के द्वारा अवार्ड का उल्लंघन, परियोजना के अधिकतम जल स्तर का परीक्षण. प्रभावित क्षेत्र का चिन्हाकंन जैसे बिंदुओं पर हमने अध्ययन कराया है. रविंद्र चौबे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जैसे ही इस विषय पर कोई निर्णय होता है, तब हम राज्य के प्रभावितों के पुनर्वास की नीति बनाएँगे