मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद आपने भी मंदिर की परिक्रमा की होगी, लेकिन कभी आपने सोचा है कि मंदिर की ये क्यों की जाती है या इस तरह आपका कभी ध्यान नहीं गया. परिक्रमा पूजा का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है. माना जाता है कि भगवान की परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मंदिर और भगवान के आसपास परिक्रमा करने से सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है. हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की ही नहीं पीपल, बरगद, तुलसी समेत अन्य शुभ प्रतीक पेड़ों के अलावा यज्ञ, नर्मदा, गंगा आदि के चारों ओर परिक्रमा भी की जाती है क्योंकि सनातन धर्म में प्रकृति को भी साक्षात देव समान माना गया है. इसके अलावा सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद भी कई लोग परिक्रमा करते हैं.

इस दिशा में लगाएं परिक्रमा

मंदिर में हमेशा परिक्रमा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए. इससे भी समझ सकते हैं कि आपको हमेशा भगवान के दाएं हाथ की तरफ से ये शुरू करना चाहिए. कम से कम 8 से 9 बार ये प्रक्रिया करनी चाहिए. इस दौरान बात नहीं करनी चाहिए.बल्कि मंत्रों का उच्चारण, भगवान का ध्यान करना चाहिए या जयकारे लगाने चाहिए.

परिक्रमा करने के लाभ

  • शास्त्रों के अनुसार, मंदिर और भगवान के आसपास परिक्रमा करने से सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है और ये ऊर्जा व्यक्ति के साथ घर तक आती है. जिससे सुख-शांति बनी रहती है.
  • इस दौरान अपने इष्ट देव के मंत्र का जाप करने से उसका शुभ फल मिलता है.
  • मंदिर में हमेशा परिक्रमा घड़ी की सुई की दिशा में करनी चाहिए. इससे भी समझ सकते हैं कि आपको हमेशा भगवान के दाएं हाथ की तरफ से इसे शुरू करना चाहिए.

वैज्ञानिक कारण

परिक्रमा लगाने के पीछे धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी जुड़ा हुआ है. माना जाता है जिन जगहों पर हर रोज पूजा होती है. वहां एक सकारात्मक ऊर्जा विद्यमान रहती हैं. जब इस ऊर्जा में मनुष्य प्रवेश करता है तो उसके मन में शांति आती है और आत्मबल मजबूत होता है.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के सबसे विश्वसनीय सर्वे में हिस्सा लें

सर्वे में हिस्सा लेने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें https://survey.lalluram.com/cg