गणेश जी की पूजा में कुछ चीजे वर्जित मानी जाती हैं. वहीं गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ पंचदेवों की पूजा करने की भी परंपरा है. इन पंचदेवों की पूजा करते समय भी कुछ खास फूलों और पत्तियों का प्रयोग वर्जित माना गया है. गणेश को तुलसी को छोड़कर सभी पत्ते और फूल पसंद हैं इसलिए उन्हें सभी पत्ते और फूल चढ़ाए जाते हैं. गणेश जी को दूर्वा अधिक पसंद है इसलिए गणेश जी को सफेद या हरी दूर्वा अर्पित करनी चाहिए. दूर्वा की एक कली में तीन या पांच पत्तियां होनी चाहिए. गणपति को कभी भी तुलसी न चढ़ाएं.

पद्म पुराण आचार रत्न में लिखा है कि ‘न तुलस्य गणाधिपम’ यानी भगवान गणेश की पूजा कभी भी तुलसी से नहीं करनी चाहिए. कार्तिक-महात्म्य में भी कहा गया है कि ‘गणेश तुलसीपत्रत्रैदुर्गा नैव तु दूर्वाय’ अर्थात गणेश की तुलसी के पत्तों से और दुर्गा की दूर्वा से पूजा नहीं करनी चाहिए. पद्म पुराण और गणेश पुराण में वर्णित कथा के अनुसार,देवी तुलसी ने भगवान गणेश को श्राप दिया था, जिसके कारण उनकी पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती. गणेश पुराण में वर्णित कथा के अनुसार देवी तुलसी गणेश जी से विवाह करना चाहती थीं लेकिन गणेश जी उनसे विवाह नहीं करना चाहते थे. इससे नाराज होकर देवी तुलसी ने भगवान गणेश को दो पत्नियां होने का श्राप दे दिया.