हिंदू सनातन धर्म में गंगा को केवल नदी नहीं बल्कि मां का दर्जा दिया गया है और इसलिए पूजा पाठ और मांगलिक कार्य में गंगाजल (Gangajal) प्रयोग में लाया जाता है. हर साल तीर्थ से लोग गंगाजल भरकर ले आते हैं और पूरे साल पूजा अर्चना में घर की शुद्धि के लिए इसका प्रयोग होता रहता है. गंगाजल इतना पवित्र है कि घर में इसकी मौजूदगी ही वातावरण को सकारात्मक बना देती है.
इसलिए वास्तु शास्त्र में गंगा जल को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं और खासकर गंगा जल को रखने की दिशा संबंधी नियम जरूर मानने चाहिए. चलिए जानते हैं कि वास्तु सम्मत नजरिए से गंगा जल को घर में किस स्थान पर और किस तरह रखना सही होता है.
जानिए गंगाजल से जुड़ी ये बातें
- गंगा जल को हमेशा ऐसी जगह रखना चाहिए जहां पर्याप्त प्रकाश आता हो. इस पवित्र जल को अंधेरी जगह पर नहीं रखना चाहिए, ऐसी मान्यता है.
- गंगा जल को हमेशा साफ सुथरी जगह पर रखना सही होता है. ये ध्यान रखना होगा कि ये पवित्र जल है और इसके आस पास गंदगी और कूड़ा नहीं होना चाहिए.
- पूजा के लिए उपयोग होने वाला गंगाजल खुद ईश्वरीय प्रतीक है, इसलिए इसके आस पास मांसाहारी भोजन नहीं पकना चाहिए और ना ही इसके नजदीक मदिरा आदि का सेवन करना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने पर घर में नकारात्मकता और दुर्भाग्य आता है और गंगा जल अपवित्र हो जाता है.
- गंगा जल को छूने से पहले हाथ साफ और धुले होने चाहिए, वस्त्र भी साफ और धुले होने चाहिए। इसे गंदे हाथों से छूने पर ये अपवित्र हो जाता है.
- गंगाजल को कांच की बोतल में रखना चाहिए। प्लास्टिक की बोतल में इसे रखना अच्छा नहीं माना जाता.
- अगर गंगाजल को लोटे में रखते हैं तो चांदी, पीतल या तांबे के लोटे में रखकर ही पूजा करनी चाहिए.
- प्रयास करना चाहिए कि गंगाजल को घर के पूजा घर में या पूजा घर के नजदीक ही रखें.
- सबसे ज्यादा पवित्र और पूजनीय माने गए गंगा जल को हमेशा अपने घर के ईशान कोण यानि पूजा घर में या फिर उसके आस-पास ही रखना चाहिए.
- गंगाजल को कभी भी जूठे हाथ या फिर जूते-चप्पल पहनकर नहीं छूना चाहिए.
- गंगाजल को कभी भी जूठे हाथ या फिर जूते-चप्पल पहनकर नहीं छूना चाहिए.
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