दाल हेल्दी सुपरफूड है। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। जब दाल को अन्य पौधे-आधारित प्रोटीन के साथ मिलाया जाता है, तो यह प्रोटीन का एक कंप्लीट सोर्स बन जाता है। दाल का सेवन करने से शरीर को काफी ज्यादा फाइबर, प्रोटीन, लो-फैट, कैल्शियम, फास्फोरस जैसे पोषक तत्व मिलते हैं। दाल में भी कई किस्में आती हैं, सबका अलग-अलग लाभ होता है। इनमें कई एंटी-न्यूट्रिएंट यौगिक भी होते हैं, जो गैस या पेट फूलने की परेशानी का कारण बनते हैं।
क्या आप जानते हैं कि दालों में मौजूद एंटी-न्यूट्रिएंट्स को पानी में भिगोकर आसानी से नष्ट किया जा सकता है। आइए जानते हैं इन सभी के चीजों के बारे में।

पकाने से पहले दाल भिगोनी चाहिए

कुछ दालों के सेवन से पेट में गैस और ब्लोटिंग की शिकायत हो सकती है। तो आपको ​करना सिर्फ इतना है कि पकाने से पहले इसे अच्छी तरह से धोकर 30 मिनट से 2 घंटे तक भिगोकर रख दें। अरहर या चना दाल को 2 घंटे या उससे अधिक समय तक भिगोएं। मूंगदाल या मसूर दाल को 30 मिनट या एक घंटे तक। इससे इसके मौजूद एंटी-न्यूट्रीएंट नष्ट हो जाते हैं। फिर यह आसानी से डायजस्ट हो जाती है।

दाल भिगोकर खाने के फायदे

दाल भिगोने से शरीर में मिनरल्स अवशोषण के दर में वृद्धि होती है। दाल भिगोने पर एक एंजाइम फाइटेज सक्रिय होता है, जो फाइटिक एसिड को तोड़ने में मदद करता है। कैल्शियम, आयरन और जिंक को बांधने में मदद करता है। यह अवशोषण प्रक्रिया को आसान बनाता है। इससे एमाइलेज नामक एक यौगिक को सक्रिय करता है, जो दाल में जटिल स्टार्च को तोड़ता है और उन्हें पचाने में आसान बनाता है।

दाल भिगोने से पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है

दाल भिगोकर पकाने से इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। दाल को भिगोकर खाते हैं, तो इसमें जिंक, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन का अवशोषण बेहतर हो जाता है। साथ ही फाइटिक एसिड और टैनिन भी कम होते हैं। साथ ही दाल स्वादिष्ट और मुलायम भी हो जाती है। भिगोकर दाल पकाकर खाने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फंक्शन को बेहतर किया जा सकता है।