सुप्रिया पाण्डेय रायपुर. तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य महाश्रमण ने कहा, 84 लाख योनियों में जीव भटकता है. इसमें मनुष्य भी आ जाता है. मनुष्य का जन्म दुर्लभ होता है, वह सर्वश्रेष्ठ प्राणी होता है. इस जीवन को पाने के लिए सभी जीव तरसते हैं, क्योंकि मनुष्य ही ऐसा जन्म है, जिसमें साधना करके सिद्धि और मुक्ति दोनों प्राप्त किया जा सकता है. विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व मुख्ममंत्री डा. रमन सिंह भी आचार्य के दर्शन करने पहुंचे.
आचार्य ने कहा, सर्वश्रेष्ठ प्राणी बनने के लिए तथा इस जीवन को सफल बनाने के लिए हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमृत की ओर अग्रसर होना होगा. इसके लिए सद्गुण का विकास होना आवश्यक है. आत्मा स्थाई है जबकि शरीर अस्थाई है. आत्मा की निर्मलता कैसे हो इस पर हमें विचार करना चाहिए. आदमी की सरलता से आत्मा में शुद्धता आ जाती है. व्यक्ति अपनी आत्मा की शुद्धि चाहता है, तो उसमें सरलता होनी चाहिए. आचार्य ने कहा कि डॉक्टर से अपनी बीमारी मत छुपाओ, जिस आदमी में सरलता होती है, उसमें सच्चाई भी होती है. झूठ-कपट का जोड़ा है. इससे बचना है. जीवन में कुटिलता को मत आने दीजिए. जिसका हृदय कोमल हो और जो सरल हो, वह मोक्ष प्राप्त कर सकता है.
ज्ञान बढ़ाना अच्छा है किंतु सरलता खत्म होना नहीं चाहिए. कथनी और करनी में विसंगति ना हो तो सरलता रहती है. जिसके मन में वाणी में एकता है, वह महात्मा है और जिस में एकता नहीं वह दुरात्मा है. जहां बेईमानी है, वहां सरलता नहीं रह सकती. सभी की दुकान में एक प्रतिमा रहनी चाहिए और वह प्रतिमा है ईमानदारी की. सभी स्वर्ग जाना चाहते हैं किंतु स्वर्ग जाने के लिए मन में सरलता होनी चाहिए और आत्मा में शुद्धि होनी चाहिए.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक महात्मा ने धर्मसभा में पूछा कि कौन कौन स्वर्ग जाना चाहता है, तब सभी ने हाथ उठाया किंतु एक ने हाथ नहीं उठाया. महात्मा ने उससे पूछा कि आप स्वर्ग नहीं जाना चाहते तो उसने कहा कि मैं स्वर्ग को धरती पर ही लाना चाहता हूं. आचार्य ने कहा कि जहां अहिंसा समता और सरलता है वहां स्वर्ग आ सकता है.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने आचार्य का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह संस्कारधानी का सौभाग्य की गुरु जी का यहां आगमन हुआ. छत्तीसगढ़ वासियों की ओर से वे उनका अभिनंदन करते हैं, वंदन करते हैं. आचार्य ने अहिंसा यात्रा में राजनांदगांव को भी शामिल किया है, यह राजनांदगांव का सौभाग्य है. सुकमा-कोंटा जैसे सुदूर वनांचल में चलना केवल सैन्य बल या फिर आत्मबल के साथ ही संभव है और गुरु ने आत्म बल के साथ सुकमा-कोंटा से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया. आचार्य महाश्रमण ज्ञान दर्शन एवं चरित्र के उत्कृष्ट साधक है. आचार्य जहां जाते हैं वहां समाज के सभी वर्गों को तृप्ति होती है. विधानसभा सत्र चल रहा है किंतु वे आचार्य के दर्शन करने चले आए, क्योंकि आचार्य के दर्शन और उनके प्रवचन से जीवन का संचार होता है. आचार्य का अभिनंदन करते हुए कलेक्टर डीके वर्मा ने कहा कि आपकी यात्रा के उद्देश्य की पूर्ति हो यही वे कामना करते हैं.
महापौर हेमा देशमुख ने कहा, महाश्रमण के चरण पड़ते ही संस्कारधानी की धरा पुलकित हो उठी है. सद्भावना, नैतिकता और नशा मुक्ति की राह दिखाने उनका नगर आगमन हुआ है. हम संस्कारधानी के लोग इस मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे.
संबोधन एवं प्रवचन के पूर्व दिनेश मुनि ने कहा, मनुष्य चार प्रकार के होते हैं. मनुष्य की बुद्धि निर्मल, आचरण शुद्ध, विवेक जागृत, शरीर गतिशील और पराक्रमशील और मन में सहानुभूति होनी चाहिए. जो क्रोध नहीं करता उसका चेहरा अच्छा लगता है, उसकी वाणी अच्छी लगती है. इसलिए मधुरता हमारे पास होनी चाहिए विश्वास व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचाती है.