रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बस्तर ज़िले में आदिवासी किसानों को सीधे-सीधे लाभ पहुँचाने वाली केंद्र सरकार की योजनाओं में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार के ख़ुलासे पर हैरत जताते हुए प्रदेश सरकार और उसके प्रशासन तंत्र की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है. कौशिक ने कहा कि आदिवासियों और किसानों के नाम पर घड़ियाली आँसू बहाने वाली प्रदेश सरकार की नाक के नीचे आदिवासी बहुल बस्तर ज़िले में भ्रष्टाचार के चलते आदिवासी किसान खुलेआम ठगे गए हैं. कृषि और उद्यानिकी विभाग के साथ-साथ अब आदिवासी विकास विभाग और जनपद पंचायतों ने भी भ्रष्टाचार का सारी सीमाएँ लांघ दी हैं.
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के दावे करने वाली प्रदेश सरकार अब पूरी तरह से बेनक़ाब हो चुकी है. बस्तर में नेताओं, आपूर्तिकर्ताओं और अफ़सरों ने मिलकर कमीशनख़ोरी की ऐसी शर्मनाक मिसाल पेश की है कि किसानों को वितरित किए जाने वाले सब्जी बीज के किट्स तक को भी उन्होंने नहीं छोड़ा और 16.5 हज़ार रुपए मूल्य के इन किट्स पर कमीशनखोरों ने ऐसी नज़र गड़ाई कि आख़िर में इन सब्जी उत्पादक किसानों के हिस्से में सिर्फ़ एक हज़ार रुपए के बीज ही आ पाए. जिस सुनियोजित तरीके से इस ठगी को अंजाम दिया गया है, उससे यह संदेह पुख़्ता होता है कि भ्रष्टाचार के इस शर्मनाक सिलसिले को प्रदेश सरकार का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था, क्योंकि ये किट्स परियोजना सलाहकार मंडल के अध्यक्ष के नाते स्वयं कांग्रेस सांसद दीपक बैज ने मई-जून में बाँटे थे. कौशिक ने कहा कि बस्तर में एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना मद में केंद्र सरकार से आने वाली राशि से आदिवासियों-किसानों के बजाय नेता-अफ़सर-सप्लायर अपनी तिजोरियाँ भरने में लगे हैं और प्रदेश सरकार और उसके सियासी मोहरों को न तो यह नज़र आया और न ही उनके कानों पर जूँ तक रेंगी.
उन्होंने कहा कि जिस परियोजना के सलाहकार मंडल के अध्यक्ष सांसद हों और विधायक सदस्य हों, उसमें इतने बड़े पैमाने पर मची लूट प्रदेश सरकार के कलंकित कार्यकाल का एक और काला अध्याय है. बस्तर ज़िले की सभी सात जनपद पंचायतों में लगभग 700 किसानों को 1.15 करोड़ रुपए के बीज बाँटे जाने की बात कही जा रही है, जबकि प्रति किसान दिए गए बीजों की कीमत बाज़ार में एक हज़ार रुपए आँकी जा रही है. इधर ये बीज 16.5 हज़ार रुपए में ख़रीदे जाने की बात सामने आई है. आदिवासी किसानों तक सिर्फ़ 10 लाख रुपए के बीज ही पहुँचे और और शेष एक करोड़ रुपए से ज़्यादा कमीशनखोरों ने हज़म कर लिया. भ्रष्टाचार को अंजाम देने सभी जनपदों में एक ही सप्लायर की दो फर्मों को यह काम सौंपा गया और उसमें भी तमाम क़ायदे-क़ानूनों को ताक पर रखा गया. कौशिक ने केंद्र सरकार से मिली राशि की इस बंदरबाँट को आदिवासी किसानों के साथ खुली धोखाधड़ी बताते हुए इसके बारे में तत्काल केंद्र सरकार को अवगत करा प्रदेश सरकार और उसके प्रशासन तंत्र के ख़िलाफ़ कारग़र कार्रवाई करने की बात कही है.