दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HighCourt)ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि ट्रायल कोर्ट्स को बिना ठोस आधार के किसी व्यक्ति को आरोपी के रूप में समन जारी करने से बचना चाहिए. जस्टिस अमित महाजन ने 23 जून को अपने फैसले में कहा कि समन जारी करना एक गंभीर प्रक्रिया है, जिसके लिए मजिस्ट्रेट को तथ्यों और सबूतों की गहन जांच करनी चाहिए. केवल सतही संतोष या बिना कारण बताए समन जारी करना स्वीकार्य नहीं है.

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आरोपी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट का समन आदेश बिना उचित विचार-विमर्श के और गलत तरीके से जारी किया गया. उसने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने उसकी अनुमति के बिना 7 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर उसे नुकसान पहुंचाया. आरोपी ने कंपनी के आरोपों को निराधार और असंभव बताते हुए कहा कि यह मामला आपराधिक नहीं, बल्कि सिविल प्रकृति का है.

कंपनी ने तर्क दिया कि याचिका अनुचित है और इसे 7 साल बाद दायर किया है, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, हाईकोर्ट ने कंपनी के इस तर्क को अस्वीकार कर दिया.’सिविल मामले को आपराधिक रंग देना गलत’

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जस्टिस महाजन ने कहा कि समन जारी करने से पहले उचित जांच और सबूतों की समीक्षा नहीं की गई. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कंपनी ने सिविल मामले को आपराधिक रूप में पेश कर धन उगाही का प्रयास किया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिकायत और प्रारंभिक सबूतों की सतही जांच से यह स्पष्ट है कि मजिस्ट्रेट का निर्णय बिना उचित विचार के लिया गया, और इसमें किसी भी आपराधिक तत्व का कोई प्रमाण नहीं है.

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के मामलों में आपराधिक कार्यवाही को जारी रखना कानून का दुरुपयोग होगा. जस्टिस महाजन ने चेतावनी दी कि आपराधिक प्रक्रियाओं का उपयोग प्रतिशोध या दूसरों को परेशान करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. इसके परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के समन आदेश को रद्द करते हुए इस मामले को सिविल विवाद के रूप में मान्यता दी.

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क्या है पूरा मामला?

यह मामला 98 लाख रुपये की कथित धोखाधड़ी से संबंधित है, जिसमें एक व्यक्ति को ट्रायल कोर्ट ने 28 सितंबर 2013 को समन जारी किया था. शिकायत इंडियाबुल्स सिक्योरिटीज लिमिटेड नामक कंपनी ने की, जो शेयर बाजार में सक्रिय है. कंपनी ने आरोप लगाया कि व्यक्ति ने धोखे से उनके साथ खाता खोला और मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा का लाभ उठाया, जिसमें निवेशक ब्रोकर से उधार लेकर शेयर खरीदता है. कंपनी का कहना है कि व्यक्ति ने बार-बार मार्जिन कॉल के बावजूद उधारी की राशि चुकाने में विफल रहा.