रायपुर। छत्तीसगढ़ में आयकर छापे के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच जमकर आरोप और प्रत्यारोप चल रहे हैं. कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा सांसदों ने सवाल उठाए हैं. राज्यसभा सदस्य और अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविचार नेताम ने कहा कि मुख्यमंत्री का केन्द्र सरकार पर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप निरा बचकाना है और ऐसा कहकर मुख्यमंत्री बघेल ने न केवल अपनी सियासी विफलता को स्वीकार किया है, बल्कि अपनी सरकार व पार्टी को ही संदेह के दायरे में खड़ा करने का काम कर दिया है.

उन्होंने कहा कि आयकर के ये छापे रूटीन प्रक्रिया के हिस्सा हैं. यूपीए शासनकाल में भी छत्तीसगढ़ के अफसरों के यहां आयकर के छापे पड़ते रहे हैं, लेकिन पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने तो कभी ऐसी बदहवासी नहीं दिखाई और न ही कोई प्रोपेगेंडा किया. भाजपा सरकार को यह विश्वास था कि उसकी सरकार अफसरों पर छापा पड़ने से कतई अस्थिर नहीं होगी, लेकिन प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री को 68 विधायकों वाली अपनी सरकार के अस्थिर हो जाने का डर क्यों सताने लगा है? क्या मुख्यमंत्री अपने विधायकों के बजाय अफसरों के समर्थन व साथ से सरकार चला रहे हैं?  इन छापों से मुख्यमंत्री बघेल इतने विचलित क्यों हो गए कि उन्हें कैबिनेट की बैठक रद्द कर दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ गई? यह सचमुच हैरतभरा है कि छापे की कार्रवाई शुरू होने पर एक दिन पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम स्वागत करते हैं और अगले ही दिन डर के मारे पूरी सरकार और कांग्रेस राजभवन पहुंच जाती है.

वहीं दुर्ग से भाजपा सांसद विजय बघेल ने कहा कि प्रदेश भर में आयकर से जुड़े कार्यवाही को लेकर राज्य सरकार जिस कदर परेशान दिख रही है उससे साबित होता है कि साल भर में ही सरकार किस कदर भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार को यह समझना कि देश संघीय व्यवस्था से चलता है और इस तरह की कार्यवाही एक सामान्य प्रकिया है, जो कि सूचना के आधार पर आयकर विभाग के द्वारा की जाती है. वही जिस तरह से केंद्रीय कर्मचारियों की गाड़ी पर कार्यवाही कर सरकार के इशारे पर पुलिस ने जो किया उससे प्रदेश सरकार क्या साबित करना चाह रही है ? केंद्र सरकार के आयकर विभाग के कर्मचारियों के द्वारा की जा रही कार्यवाही में राज्य सरकार को सहयोग प्रदान करना चाहिए जिससे भ्रष्ट लोगो का चेहरा सामने आ सके.