It’s ISRO Show: इसरो ने 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से रात 10 बजे SpaDeX यानी, स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया। PSLV-C60 रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से 470 किमी ऊपर डिप्लॉय किया गया। अब 7 जनवरी 2025 को इस मिशन में अंतरिक्ष में बुलेट की स्पीड से दस गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर रहे इन दो स्पेसक्राफ्ट्स को कनेक्ट किया जाएगा। मिशन सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। ये तो रही सिर्फ एक मिशन की बात। इसरो नए साल-2025 और आने वाले दिनों में कई धमाकेदार मिशन लॉन्च करेगा। इसमें मुख्य रूप से NISAR, शुक्रयान (Shukrayaan) और चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) कतार में है। ये वो अभियान है, जो सफल होने पर भारत का विश्व में डंका बजा देगा। It’s ISRO Show: इसरो का Spadex मिशन पूरा, अब NISAR, शुक्रयान और चंद्रयान-4 कतार में है। इसके साथ ही गगनयान परियोजना पर भी तेजी से काम हो रहा है। इस साल हमारे देश की स्पेस एजेंसी के ऐतिहासिक कारनामे से नासा (NASA) भी जाएगा हिल जाएगा। ऐसे में जानते हैं कि साल 2025 में इसरो कौन-कौन से मिशन की तैयारियों में जुटा है।
मिशन चंद्रयान-4 (Mission Chandrayaan-4)
इसरो इस साल की बहुप्रतिक्षित मिशन चंद्रयान-4 को भी लॉन्च करने के लिए तेजी से काम कर रहा है। ISRO के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ के मुताबिक इस मिशन को एक बार में नहीं, बल्कि टुकड़ों में अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाएगा। पांच मॉड्यूल्स—प्रोपल्शन, डिसेंडर, एसेंडर, ट्रांसफर और री-एंट्री मॉड्यूल—अंतरिक्ष में जोड़े और अलग किए जाएंगे। ये जो जोड़ने और अलग करने की प्रक्रिया है, इसी के लिए स्पेडएक्स लॉन्च किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से मिट्टी के सैंपल लेकर धरती पर वापस लाना है। यह प्रक्रिया भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) बनाने के लिए उपयोगी होगी। इसरो चीफ ने बताया कि चंद्रयान-4 की डॉकिंग प्रक्रिया धरती की कक्षा में की जाएगी। मॉड्यूल्स को जोड़ने और अलग करने का यह अभ्यास मिशन की सफलता के लिए बेहद जरूरी है।
शुक्रयान (Shukrayaan)
भारत का शुक्रयान मिशन 2028 में लॉन्च होने की उम्मीद है। इस वर्ष 19 सितंबर को केंद्र सरकार ने इस मिशन की मंजूरी दी थी। यह मिशन चार साल का होगा। वीनस यानी शुक्र ग्रह धरती से करीब 4 करोड़ किमी दूर है। वीनस को पृथ्वी का जुड़वां ग्रह भी कहा जाता है। हालांकि, यहां का दिन-रात पृथ्वी की तुलना में काफी लंबा होता है। यह मिशन शुक्र ग्रह की कक्षा में जाकर उसके वायुमंडल, सतह और सूर्य के साथ उसकी अंतःक्रिया का अध्ययन करेगा। मिशन का उद्देश्य शुक्र की सतह के अत्यधिक तापमान, जहरीले वायुमंडल और वहां मौजूद धूल की गहराई से जांच करना है। इस मिशन के लिए एक खास तौर का अंतरिक्षय यान तैयार किया जाएगा।
इसरो को इस मिशन के लिए सरकार की तरफ से 1,236 करोड़ रुपये मिले। जिसमें से 824 करोड़ रुपयों को इसरो अंतरिक्ष यान पर ही खर्च करने वाला है। वीनस मिशन की लाइफ चार साल की होगी। उम्मीद है कि शुक्रयान को GSLV मार्क-2 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। शुक्रयान का वजन करीब 2500 किलोग्राम होगा। इसमें 100 किलोग्राम के पेलोड्स होंगे। कितने पेलोड्स जाएंगे, इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा। हालांकि जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस और रूस के पेलोड्स भी लगाए जा सकते हैं।
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निसार मिशन (NISAR Mission)
NASA और ISRO एक साथ मिलकर NISAR मिशन को साल 2025 की शुरुआत में ही लॉन्च करेंगे। इस ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट का उद्देश्य पर्यावरणीय बदलाव, प्राकृतिक आपदाओं और सीमा सुरक्षा की निगरानी करना होगा। यह मिशन सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक से लैस है, जो धरती पर इकोसिस्टम, बर्फ पिघलने, और भूकंप जैसी गतिविधियों की सटीक जानकारी देगा। इसमें ISRO का विकसित एस-बैंड और NASA का एल-बैंड रडार शामिल है। यह सैटेलाइट 240 किलोमीटर चौड़ी पट्टी की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें खींच सकता है, जिससे 12 दिनों में पूरी पृथ्वी की तस्वीर ली जा सकेगी। 2,800 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट में 39 फुट लंबा एंटीना रिफ्लेक्टर है, जो इसे उन्नत इमेजिंग क्षमता प्रदान करता है।
निसार सैटेलाइट ग्लेशियर पिघलने, भूस्खलन और जलवायु परिवर्तन की निगरानी करेगा। इसके साथ ही, यह भारत-पाक सीमा और चीन सीमा पर सुरक्षा के लिए भी मददगार साबित होगा। यह मिशन अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग का प्रतीक है, जिसमें भारत ने 788 करोड़ रुपये और NASA ने 808 मिलियन अमेरिकी डॉलर लगाए है।
लूपेक्स मिशन (lupex mission)
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत अपने मून मिशन में एक और ऐतिहासिक कदम उठाएगा। इसरो के पांचवें मून मिशन, लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन यानी लूपेक्स को राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग ने मंजूरी दे दी है। लूपेक्स मिशन (LUPEX- lunar polar exploration mission) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का एक संयुक्त रोबोटिक चंद्र मिशन है। इस मिशन का लक्ष्य 2024 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का पता लगाने के लिए एक लूनर रोवर और लैंडर भेजना है। इस मिशन में ISRO लैंडर प्रदान करेगा, जबकि JAXA ‘H3 लॉन्च व्हीकल’ और रोवर प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होगा। इसरो और जाक्सा ने इस मिशन पर अध्ययन के लिए दिसंबर 2017 में एक ‘इम्प्लीमेंटेशन एग्रीमेंट’ (आई.ए समझौते) पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने मार्च 2018 में चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का पता लगाने के लिए संयुक्त रूप से व्यवहार्यता रिपोर्ट को पूरा किया ।
LUPEX मिशन की घोषणा जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के अध्यक्ष हिरोशी यामाकावा के द्वारा सिडनी डायलॉग के दौरान की गई थी। हिरोशी यामाकावा ने एक संयुक्त प्रयास के रूप में भविष्य में चंद्र अन्वेषण के लिए क्वाड देशों (अमेरिका -जापान -ऑस्ट्रेलिया -भारत) के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने चंद्रमा के आसपास के क्षेत्र में मानव -चालित अंतरिक्ष स्टेशन होने की संभावना पर भी प्रकाश डाला, जिससे ध्रुवीय क्षेत्र और चंद्रमा की सतह में निरंतर अन्वेषण को सक्षम बनाया जा सके।
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