रायपुर। आईटीएसपीएल कंपनी द्वारा सीएसआर मद के नाम से 100 करोड़ की ठगी के मामले में गिरफ्तार किए गए दो आरोपी डायरेक्टरों की पुलिस रिमांड में कई बड़े मामलों का खुलासा हुआ है. पुलिस द्वारा रिमांड में लिए गए डायरेक्टर जगन्नाथ दास को 7 दिन की पुलिस रिमांड में लिया गया था और पूछताछ के बाद पुलिस आरोपी को कोलकाता ले गई था जहां पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर सुब्रतो मंडल नाम के एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है.
सुब्रतो मंडल आरोपी जगन्नाथदास के लिए कार्य करता है. जगन्नाथदास ट्रेनिंग सेंटरों के संचालकों से सुब्रतो मंडल को देश की नामी गिरामी कंपनियों के अधिकारी के रुप में मिलवाता था. जो कि ट्रेनिंग सेंटरों के संचालकों को यह यकीन दिलाने की कोशिश करता था कि वह जगन्नाथ दास की कंपनी की आईटीएसपीएल को करोड़ों का सीएसआर फंड देने वाले हैं. जिसके झांसे में ट्रेनिंग सेंटरों के संचालक आ जाते थे.
आंकड़ा बढ़कर 130 करोड़ के पार पहुंचा
उधर इस मामले में एक और खुलासा हुआ है कि आरोपियो द्वारा कोलकाता में स्वर्ण युग ह्यूमन रिसोर्स प्रायवेट लिमिटेड नाम की एक प्लेसमेंट कंपनी बना रखी थी. आरोपी ने जिसका विस्तार मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं कलकत्ता में फैला कर रखा था. इस प्लेसमेंट कंपनी के जरिए भी आरोपी 30 करोड़ से ज्यादा की और भी ठगी कर चुके हैं इस तरह से ठगी का आंकड़ा बढ़ते हुए 130 करोड़ रुपए पार कर गया है. उधर पुलिस द्वारा अभी आरोपियों से और भी पूछताछ की जा रही है. वहीं पुलिस ने मीडिया से बातचीत में चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि आरोपी सारा पैसा बंटोरकर विदेश भागने की तैयारी में था लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
यह था मामला
इसी कड़ी में रायपुर के स्केलिंग टैक कंपनी के डायरेक्टर बसंत कुमार से भी आरोपियों ने धोखाधड़ी की. स्केलिंग टैक कंपनी को बेरोजगार युवकों को मल्टीमीडिया जैसी ट्रेनिंग देने के लिए अनुबंधित किया. जिसके तहत प्रत्येक स्टूडेंट के बदले ITSPL के अकाउंट में 1 हजार रुपए जमा करना होता था. स्केलिंग टैक द्वारा 10 हजार बच्चों को प्रशिक्षित किया गया और कंपनी के अकाउंट में तकरीबन 1 करोड़ रुपए जमा किया. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद आरोपियों द्वारा उसे भुगतान के लिए आनाकानी किया जा रहा था. राजधानी रायपुर के अलावा प्रदेश भर में आरोपियों ने इसी तरह 800 सेंटर संचालित किया जा रहा था, जिसमें 2 करोड़ से ज्यादा की रकम अपने अकाउंट में जमा करा ली.
आडिट के बाद रि आडिट करके लेट लतीफी की जा रही थी. पीड़ित द्वारा दबाव डालने पर उसे कुल 8 करोड़ रुपए के कई चेक दिए गए जो कि बैंक में बाउंस हो गए. जिसके बाद पीड़ित ने इसकी शिकायत पुलिस में की. मामले की जांच में पुलिस ने 7 अप्रैल को आरोपी योगेन्द्र बारीक को गिरफ्तार किया था. पुलिस के अनुसार आरोपियों ने दुर्ग सहित कई प्रदेश के कई जिलों में इसी तरह ठगी की है बताया जा रहा है कि प्रदेश भर में 25 से 30 हजार बेरोजगार युवकों को ट्रेनिंग दी गई है. कंपनी की शाखाएं उड़ीसा, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों में संचालित है.
आरोपियों द्वारा उड़ीसा में लगभग 80 करोड़, राजस्थान में 10 करोड़, दिल्ली में 5 करोड़ और हरियाणा में 5 करोड़ के चेक जारी किए गए थे जो कि सभी जगह बाउंस हो गए थे.