कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश में पिछले 37 दिनों से अपनी कई मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठी आशा आशा कार्यकर्ताओं के साथ उस समय अफरा-तफरी की स्थिति मच गई, जब पुलिस ने कार्यकर्ताओं को टाउन हॉल में नजरबंद कर दिया. जिसके बाद आशा उषा कार्यकर्ता आक्रोशित हो गई और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगी.
दरअसल आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जबलपुर में लाडली बहनों से संवाद कार्यक्रम होना था. लिहाजा आशा उषा कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री से मिल उन्हें ज्ञापन देने की तैयारी में थी, लेकिन आशा ऊषा कार्यकर्ताओं को पहले ही नजरबंद कर दिया गया. जैसे ही पुलिस को इस बात की सूचना मिली कि सीएम का कार्यक्रम रद्द हो गया है. इसके बाद पुलिस ने आशा कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया.
कलेक्ट्रेट के सामने दिया धरना
पुलिस के इस बर्ताव से नाराज आशा उषा कार्यकर्ता कलेक्टर कार्यालय पहुंची और वहीं पर गेट के सामने धरना देना शुरू कर दिया. आशा ऊषा कार्यकर्ता ने जिद पकड़ ली कि आज वह कलेक्टर से मिलकर अपनी मांगों का ज्ञापन दिए बिना यहां से नहीं लौटेंगी. आशा ऊषा अपनी मांगों को लेकर काफी देर कलेक्टर कार्यालय के सामने नारेबाजी की. काफी देर बाद अधिकारियों की समझाइश के बाद आशा उषा कार्यकर्ताओं को किसी तरह को वहां से रवाना किया गया, लेकिन आशा उषा कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि वह कल फिर से कलेक्टर से मिलकर ज्ञापन देने के लिए पहुंचेंगे.
क्या-क्या है मांगें
आशा कार्यकर्ताओं को 10 हज़ार, सहयोगी को 15 हज़ार वेतन, आशा- उषा कार्यकर्ता को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, सभी सरकारी अस्पताल में आशा कार्यकर्ताओं को बैठने की अनुमति और सैलरी देने में मनमानी रोकने की मांग शामिल है.
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