कुमार इंदर, जबलपुर. Jabalpur Double Murder Case: गैराज नंबर 361/6, जो शहर में दो लोगों की मौत का कारण बन गया. इसी 361/6 गैराज में मौत का सामान रखा था. इसी गैराज में दूसरों की जिंदगी उजाड़ कर अपनी जिंदगी बसाने की साजिश रची जा रही थी. इसी गैराज नम्बर 361/6 में मौत का सामान जमा किया जा रहा था. जी हां… दरअसल, जबलपुर के मिलेनियम रेलवे कॉलोनी में 14 मार्च की दरमियानी रात हुई बाप बेटे की हत्या की साजिश और सामना इसी गैराज में जमा किया गया था. इतना ही नहीं, आरोपी ने हत्या से पहले घर में घुसने के लिए जिस गैस कटर का इस्तेमाल किया था वो गैस कटर भी इसी गैराज में लाकर रखा गया था.आपको बता दें कि गैराज नंबर 361/6 आरोपी मुकुल सिंह के पिता आरपी सिंह जो कि रेलवे में नौकरी करते हैं उनको रेलवे क्वार्टर के साथ एलॉट हुआ था.
हत्या वाले दिन का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. जिसमें आरोपी इसी गैराज में रखा मौत का सामान ले जाते दिख रहा है. आरोपी ने इसी गैराज में रखे गैस कटर से पहले घर का पिछला दरवाजा काटा और राजकुमार के घर घुसा और फिर इसी गैराज में रखे चापड़ से बाप बेटे की हत्या कर लडकी के साथ फरार हो गया.
क्यों नहीं पड़ी घर वालों की नजर
आरोपी ने इसी गैराज से लेकर मृतक के घर के बीच में करीब 30 मीटर का फासला तय किया. जिसमें पहले राउंड में उसने गैस सिलेंडर लेकर गया. फिर दूसरे राउंड में कटर और हत्या करने का सामान लेकर गया. सबसे अहम सवाल उठता है कि इतने लंबे समय से आरोपी मुकुल सिंह अपने घर में बैठकर साजिश रचता रहा, मौत का सामान बटोर इसी गैराज में जमा कर रहा था, आखिर क्यों घर वालों ने इस और ध्यान नहीं दिया? आखिर कैसे घर वालों की मौजूदगी में आरोपी मौत का साजो समान बटोरता रहा और घर वालों को भनक तक नहीं लगी. सवाल यह भी उठता है कि आरोपी के बैंक अकाउंट में लाखों रुपए कहां से आए, जिसकी बदौलत ही आरोपी अपनी प्रेमिका के साथ पुणे, मुंबई, बैंगलोर कर्नाटक में मौज काट रहा है.
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कई सवाल खड़े कर रहा ये गैराज
बाप-बेटे की हत्याकांड के साथ बहुत सारे सवाल खड़े हो रहे हैं कि जिस वक्त आरोपी ने ऑनलाइन चापड़ मंगवाया तब घर वालों की उस पर नजर क्यों नहीं पड़ी. आरोपी चापड़ मंगा कर गैराज में रख रहा था, क्या तब भी घर वालों की नजर नहीं पड़ी. गैस कटर खरीद कर लाया तब भी घर वालों की नजर क्यों नहीं पड़ी. आरोपी के अकाउंट में इतना पैसा कहां से आता था? कभी घर वालों ने क्यों नहीं पूछा? आरोपी नशा करता था तब भी कभी घर वालों ने क्यों नहीं टोका? आरोपी 10 हज़ार रूपए साल के पैकेज में जिम भी जाता था, महंगा मोबाइल चलाता था इन तमाम चीजों को देखकर जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं आरोपी को परिवार का शय प्राप्त था.
15 दिन बाद भी नहीं मिला सुराग
हत्या के 15 दिन गुजर चुके हैं लेकिन आरोपी का अब तक पुलिस को कोई पता ठिकाना नहीं लग पाया है. हालांकि पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए कई टीम में गठित कर की हैं, लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं.
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