कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक गुमशुदा नाबालिग को एक हफ्ते के अंदर ढूंढने के निर्देश दिए है। दरअसल, जबलपुर रांझी निवासी ऑटो चालक ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई है। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक जैन और विवेक अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश-उत्तर प्रदेश के डीजीपी को एक संयुक्त टीम बनाकर नाबालिग को तलाशने के लिए कहा है।

जबलपुर के रांझी के मोहनिया निवासी मुकेश श्रीपाल जो कि ऑटो चलाते हैं, उन्होंने अपने नाबालिक नाती की गुमशुदा होने की FIR उत्तर प्रदेश और जबलपुर में दर्ज करवाई थी, लेकिन 3 महीने बाद ही नाबालिक नाती का कोई सुराग न मिलने पर पीड़ित ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर नाबालिक को ढूंढने के निर्देश दिए हैं।

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काम सीखने के लिए गया था झंसी

मोहनिया रांझी क्षेत्र के निवासी मुकेश श्रीपाल के पड़ोसी शिवकुमार गुप्ता की बेटी की शादी उत्तर प्रदेश झांसी में हुई थी। तभी पड़ोसी शिवकुमार गुप्ता ने याचिकाकर्ता मुकेश श्रीपाल को कहा था कि वह उनके नाती को मैकेनिक का काम सीखने के लिए झांसी भेज देते हैं। पड़ोसी की बात में आकर पीड़ित मुकेश श्रीपाल ने अपने नाती के भविष्य को देखते हुए उसे झांसी भिजवा दिया।

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दिवाली के समय गया उसका नाती से फरवरी तक तो बातचीत होती रही, लेकिन 15 फरवरी को अचानक बातचीत बंद होने पर परिजनों को चिंता सताने लगी। जिसके बाद पीड़ित परिवार तत्काल झांसी पहुंचा। जहां पता चला कि उनका नाती उनके घर में है ही नहीं, इसके बाद तत्काल उन्होंने झांसी में इस बात की रिपोर्ट कराई।

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