कुमार इंदर,जबलपुर। रीवा जिले में सरकारी तालाबों में अतिक्रमण और अवैध खनन को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है. रीवा जिले में साल 2014 से अब तक रहे कुल 7 कलेक्टर को अवमानना का नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह पूछा है कि साल 2014 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी रीवा जिले में सरकारी तालाब से अतिक्रमण हटाने और उनमें हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

क्या है मामला ?

दरअसल साल 2011 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि रीवा जिलों में करीब 250 तालाबों पर अतिक्रमण और अवैध खनन किया जा रहा है. जिसको लेकर साल 2014 में हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर मामले में 3 महीने के अंदर कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे, लेकिन उस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. साल 2022 में रीवा जिला प्रशासन की तरफ से दाखिल जवाब में यह कहा गया कि अब तक कुल 13 तालाबों पर अतिक्रमण हटाने का काम किया गया है. जिसको हाईकोर्ट ने अपने आदेश की अवमानना मानते हुए रीवा जिले में 2014 से अब तक रहे कुल 7 कलेक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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सरकारी तालाबों का संरक्षण सरकार की जिम्मेदारी

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी राज्य के जिले में सरकारी तालाबों की देखरेख और उनके संरक्षण की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है. यही नहीं सरकारी तालाबों की जमीन का आवंटन भी नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद रीवा जिले में धड़ल्ले से सरकारी तालाबों पर न केवल अतिक्रमण हो रहा था, बल्कि अवैध उत्खनन भी चल रहा है.

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