कुमार इंदर, जबलपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है। जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की डीन ने जिस जमीन को सर्कस कंपनी के नाम आवंटित किया था उसे निरस्त कर दिया गया है। प्रशासन ने 2 से 3 दिन के अंदर जमीन खाली करने के आदेश भी दिए हैं। बता दें कि लल्लूराम डॉट कॉम ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद यह बड़ी कार्रवाई हुई है। 

जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की डीन गीता गोईन ने सीएम राइस स्कूल की जमीन को सर्कस के लिए आवंटित किया था। यह जानकारी जैसे ही उच्च स्तर के अधिकारियों तक पहुंची तो प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। 

मेडिकल कॉलेज डीन का कारनामा: सर्कस कंपनी को आवंटित की सीएम राइज स्कूल की जमीन, प्रिसिंपल ने की अधिकारियों से शिकायत

प्रशासनिक हरकत के बाद डीन भी मौके पर पहुंची

प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचने के बाद मेडिकल की डीन भी मौके पर पहुंची और उन्होंने यह कहानी बनाने की कोशिश की की उन्होंने सर्कस के लिए नहीं बल्कि जनहित के लिए जमीन दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि झूठ बोलकर उनसे यह जमीन ली गई है। यही नहीं इस दौरान टीम ने अपना आपा खोते  हुए सर्कस के कर्मचारियों को चांटा मारते की बात कह दी। यही नहीं जब इस बारे में मीडिया ने उनसे सवाल किया तो बिना कुछ बोल ही वहां से चलते बनी।

क्या है पूरा मामला

जबलपुर संभाग के सबसे बड़े सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज की डीन गीता गोइन का एक कारनामा सामने आया है। जिसमें गीता गोइन ने अपनी हद से बाहर जाकर एक सर्कस चलाने वाले को सरकारी जमीन आवंटित कर दी थी। मेडिकल कॉलेज की डीन गीता गोइन को यह पता ही नहीं है कि जो जमीन वह आवंटित कर रही है उनकी हद में आती ही नहीं। सवाल यह उठता है कि आखिर गीता गोइन ने कैसे एक सरकारी विभाग को बाईपास करते हुए अपनी कलम से उस जमीन पर 40 दिनों की सर्कस चलाने के लिए स्वीकृति कैसे दे दी। 

दरअसल पूरा मामला मेडिकल कॉलेज के पीछे बद्दा ग्राउंड का है जहां पर डीन गीता गोइन ने सीएम राइस स्कूल की बिल्डिंग बनाने के लिए आरक्षित मैदान पर इंदौर की एक कंपनी को 40 दिन के लिए सर्कस चलाने की अनुमति दे दी । इसके लिए डीन गीता गोइन ने सरकारी ट्रेजरी में 46 हज़ार रुपए जमा भी कराए हैं जिसकी एक रसीद भी जारी हुई है।

स्कूल की प्रिंसिपल ने जताया विरोध

अनुमति मिलने के बाद जैसे ही सर्कस कंपनी ने सीएम राइस स्कूल की जमीन पर सर पूरा सेटअप जमाया तो स्कूल के प्रिंसिपल ने इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराई। जिस पर सर्कस के संचालक ने कहा कि उन्होंने इस काम के लिए मेडिकल की डीन से परमिशन ली है। लिहाजा वो सर्कस नहीं हटाएंगे। प्रिंसिपल किरण राव ने इसको लेकर संभाग कमिश्नर, कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को एक लेटर लिखा। जिसमें यह बताया गया कि जिस जमीन पर सर्कस लगा है वहां पर सीएम राइस स्कूल की बिल्डिंग का काम शुरू होना है। जो सर्कस लगाने से प्रभावित हो रहा है।

सर्कस से एग्जाम और पढ़ाई पर असर

स्कूल की प्रिंसिपल किरण राव का कहना है कि 5 फरवरी से बच्चों के एग्जाम स्टार्ट होने हैं। ऐसे में उनकी स्कूल के बगल में भारी भरकम सर्कस लगा दी गई है। जिससे न केवल पढ़ाई में डिस्टर्ब होगी बल्कि आने वाले दिनों में एग्जाम में भी इसका असर पड़ेगा। लिहाजा इस सर्कस तत्काल वहां से हटनी चाहिए।

डीन के गलती के चलते बीच में फंसा सर्कस मालिक

सर्कस मलिक का कहना है कि उसने सारी नियम प्रक्रिया अपनाते हुए ही अपने सर्कस चलाने की अनुमति मांगी है। जिसके लिए बाकायदा उसने एग्रीमेंट भी किया है और 46 हज़ार रूपए देकर सरकारी रसीद भी कटाई है। सर्कस मलिक का कहना है कि उसका इतना सामान लाने में ही 18 लाख रुपए खर्च हो गया है। ऐसे में वह बिना सर्कस चलाए सामान ले जाता है तो इतना ही खर्च फिर से होगा। लिहाजा इतना भारी भरकम नुकसान की भरपाई कौन करेगा।

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