Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 8 जुलाई, सोमवार को गुंडिचा मंदिर पहुंची. गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर भी कहा जाता है. यहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 8 दिनों तक विश्राम करते हैं. रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय कर गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं. यह मंदिर देवी गुंडिचा को समर्पित है. गुंडिचा मंदिर से जुड़ी भी कईं रोचक बातें हैं. कौन थी रानी गुंडिचा, जिन्हें कहते हैं भगवान जगन्नाथ की मौसी…
जानिए कौन थी रानी गुंडिचा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, किसी समय पुरी में राजा इंद्रद्युम्न का शासन था, वह भगवान जगन्नाथ का परम भक्त था. उनकी पत्नी का ही नाम गुंडिचा था. वे भी ईश्वर भक्त थीं. राजा इंद्रद्यु्म्न को भगवान जगन्नाथ ने सपने में दर्शन देकर मंदिर बनवाने को कहा. राजा ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और उसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं स्थापित की.
8 दिनों तक वहीं रूककर विश्राम भी करेंगे भगवान
राजा इंद्रद्युम्न की तरह ही उनकी पत्नी भी भगवान जगन्नाथ की परम भक्त थी. वे भगवान के बाल स्वरूप की पूजा मां के रूप में करती थीं. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान जगन्नाथ प्रकट हुए और वरदान दिया कि साल में एक बार वे उनसे मिलने जरूर आएंगे और 8 दिनों तक वहीं रूककर विश्राम भी करेंगे. भगवान जगन्नाथ ने रानी गुंडिचा को मौसी की तरह सम्मान दिया. इसलिए रानी गुंडिचा को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता है.
जानिए क्यों है खास गुंडिचा मंदिर
जगन्नाथ मंदिर से लगभग 3 किमी दूर है गुंडिचा मंदिर. ये मंदिर हल्के भूरे रंग के बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. इस पर कलिंग वास्तु कला का छाप दिखाई देती है. खास बात ये है कि इस मंदिर में किसी देवी-देवता की प्रतिमा नहीं है. रथयात्रा के 9 दिनों के अलावा अन्य समय ये मंदिर खाली ही रहता है. मंदिर का मुख्य आकर्षण प्रमुख मंदिर के चारों ओर फैला इसका विशाल सुंदर उद्यान है.
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