प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती तीन दिवसीय रणवीरपुर के प्रवास पर है. जहां शंकराचार्य ने धर्मसभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्ववरानंद सरस्वती को शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया.

शंकराचार्य ने कहा कि उनके (अविमुक्तेश्वरानंद) गुरु जी का 99 साल की आयु में शरीर छूटा. उसके पहले उन्होंने अपनी गद्दी किसी को नहीं दी. अब प्रश्न ये उठता है कि कोई शंकराचार्य बनकर घूम रहे हों और शंकराचार्य के नाम पर असली भी क्यों ना हों, लेकिन मर्यादा का अतिक्रमण करते हैं तो हमारी दृष्टि में वो शंकराचार्य होते हुए मानने योग्य नहीं हैं. बता दें कि अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की नियुक्ति के बाद से ही निश्चलानंद सरस्वती उन्हें शंकराचार्य मानने से इंकार करते आ रहे हैं.

सनातन धर्म में आरक्षण का पूरा समर्थन – शंकराचार्य

वहीं निश्चलानंद सरस्वती ने आरक्षण को लेकर कहा कि- सनातन धर्म में आरक्षण को पूरा स्थान है, हर व्यक्ति की जीविका जन्म से सुरक्षित थी कि नहीं ? इससे बढ़िया आरक्षण क्या होगा ? शंकराचार्य ने आगे कहा कि अयोग्य से अयोग्य व्यक्ति यदि योग्य से योग्य पद पर पहुंच जाएगा तो देश का उत्कर्ष होगा क्या ? उन्होंने कहा कि- योग्य सबको बनाइए, लेकिन आरक्षण के नाम पर अयोग्य व्यक्ति जब योग्य पद पर पहुंचेगा तो देश का बंटा धार होगा या नहीं ?

शंकराचार्य ने कहा कि इससे प्रतिभा की हानि, प्रगति की हानि, प्रायोगिक नहीं, प्रतिशोध की भावना और परतंत्रता होगी. आरक्षण की चपेट में देश परतंत्र हो जाएगा.