पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफे के 40 दिन बाद उपराष्ट्रपति निवास छोड़ दिया है. अब वो छतरपुर के गदाईपुर में एक प्राइवेट घर में शिफ्ट हो गए हैं. हालांकि यह एक वैकल्पिक व्यवस्था है. सरकार जब टाइप आठ बंगला आवंटित करेगी तो वो वहां शिफ़्ट हो जाएंगे. वैसे जगदीप धनखड़ को 34 एपीजे अब्दुल कलाम रोड वाला बंगला आवंटित हुआ है, लेकिन इसे तैयार होने में अभी करीब तीन महीने लगेंगे. तब तक धनखड़ छतरपुर में रहेंगे. ये अभय चौटाला का फ़ार्महाउस है.

पूर्व उपराष्ट्रपति को अभी तक अलॉट नहीं हुआ है सरकारी बंगला

सूत्रों के अनुसार पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अभी अपने लिए सरकारी आवास को लेकर शहरी विकास मंत्रालय को नियम अनुसार, पूर्व उपराष्ट्रपति को मिलने वाले सरकारी बंगले के लिए पत्र लिखा है. सूत्रों के अनुसार लेकिन अभी तक उन्हें सरकारी बंगला अलॉट नहीं किया गया है. जब तक उन्हें सरकारी बंगला अलॉट नहीं हो जाता है तब तक वो छतरपुर के फार्म हाउस में रहेंगे.

धनखड़ और चौटाला परिवार के बीच करीब 40 साल पुराना रिश्ता

धनखड़ और चौटाला परिवार के बीच करीब 40 साल पुराना रिश्ता है। 1989 में हरियाणा के बड़े जाट नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने राजस्थान के युवा वकील धनखड़ को फ्यूचर का लीडर कहा था। धनखड़ देवीलाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।

उसी दौर में दिल्ली के बोट क्लब पर देवीलाल के जन्मदिन पर विपक्षी रैली में धनखड़ ने 500 गाड़ियां राजस्थान से जुटाई थीं। इसके बाद 1989 लोकसभा चुनाव में देवीलाल ने धनखड़ को झुंझुनूं सीट से टिकट दिया। खुद प्रचार भी किया।

चुनाव जीतने पर जब देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने तो धनखड़ को भी सरकार में मंत्री पद मिला। हालांकि जब वीपी सिंह ने देवीलाल को मंत्रिमंडल से बाहर किया तो धनखड़ अकेले मंत्री थे जिन्होंने विरोध में इस्तीफा दिया।

2 दिन पहले पेंशन के लिए आवेदन किया था

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 30 अगस्त को पूर्व विधायक के नाते मिलने वाली पेंशन के लिए राजस्थान विधानसभा सचिवालय में फिर से आवेदन किया है। धनखड़ 1993 से 1998 तक किशनगढ़ सीट से कांग्रेस के विधायक रहे थे। पूर्व विधायक के तौर पर उन्हें जुलाई 2019 तक पेंशन मिल रही थी। जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने के बाद पेंशन बंद हो गई थी।

पूर्व विधायक होने के नाते धनख़ड़ को 42,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे

राजस्थान में पूर्व विधायक की पेंशन एक कार्यकाल के लिए 35,000 रुपये प्रति माह से शुरू होती है तथा अतिरिक्त कार्यकाल और उम्र के साथ बढ़ती जाती है. 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को 20 प्रतिशत की वृद्धि का लाभ मिलता है. अधिकारियों के अनुसार, धनखड़ (74) पूर्व विधायक होने के नाते 42,000 रुपये प्रति माह के हकदार हैं.

इस बीच अधिकारियों ने बताया कि धनखड़ तीन पेंशन के हकदार हैं – पूर्व उपराष्ट्रपति, पूर्व सांसद और राजस्थान विधानसभा के पूर्व सदस्य के रूप में. पश्चिम बंगाल का पूर्व राज्यपाल होने के नाते धनखड़ के लिए कोई पेंशन लाभ नहीं है, लेकिन पूर्व राज्यपाल होने के नाते उन्हें सचिव के रूप में एक कर्मी रखने के एवज में 25,000 रुपये की मासिक प्रतिपूर्ति मिल सकती है. एक बार के सांसद के रूप में उन्हें अन्य लाभों के अलावा 45,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है.

पहले उपराष्ट्रपति जिनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था

देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था। विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा है। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं।

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