पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को राजस्थान विधानसभा की ओर से पूर्व विधायक पेंशन मंजूर कर दी गई है. विधानसभा सचिवालय ने उनके आवेदन पर प्रक्रिया पूरी करते हुए, उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे की तारीख से पेंशन जारी करने का आदेश दिया है. अब उन्हें हर महीने पूर्व विधायक के तौर पर पेंशन और संबंधित सुविधाएं मिलेंगी. 21 जुलाई को धनखड़ ने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.
झुंझुनू के गांव से उपराष्ट्रपति पद तक का सफर
अपने पॉलिटिकल कैरियर की शुरुआत उन्होंने बतौर लोकसभा सांसद रूप के रूप में की थी. राजस्थान की झुंझुनू सीट से उन्होंने 1989 का लोकसभा चुनाव जीता थाजगदीप धनखड़, भारत के 14वें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति, एक प्रख्यात राजनीतिज्ञ और वकील हैं, जिनका जीवन संघर्ष, शिक्षा और समर्पण की मिसाल है. उनका जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के छोटे से गांव किठाना में एक जाट किसान परिवार में हुआ था. उनके पिता गोकल चंद और माता केसरी देवी ने उन्हें सादगी और मेहनत के मूल्य सिखाए. चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर जगदीप ने बचपन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उनकी लगन ने उन्हें देश के शीर्ष पद तक पहुंचाया.
रोज 5 किलोमीटर पैदल जाते थे स्कूल
जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को झुंझुनू जिला के किठाना में हुआ. 1979 में उनकी शादी सुदेश धनखड़ से हुई. उनकी एक बेटी है जिनका नाम कामना है. जगदीप की प्रारंभिक शिक्षा किठाना के सरकारी प्राथमिक स्कूल में हुई, जहां वे रोज 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे. पांचवीं कक्षा के बाद उनका दाखिला घर्धना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ. इसके बाद, उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में प्रवेश लिया, जहां सैन्योन्मुखी शिक्षा ने उनके व्यक्तित्व को निखारा. सैनिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनका चयन IIT और NDA के लिए हुआ, लेकिन उन्होंने इन रास्तों को छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान दिया. जयपुर के महाराजा कॉलेज से भौतिकी में बीएससी (ऑनर्स) और राजस्थान विश्वविद्यालय से 1978-79 में एलएलबी की डिग्री हासिल की. उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास की, लेकिन IAS के बजाय वकालत को चुना.
- धनखड़ ने 1979 में राजस्थान बार काउंसिल में पंजीकरण के बाद अपनी वकालत शुरू की
- 1990 में उन्हें राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया
- 1989 में झुंझुनू से जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया।
- 1990 में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में उन्हें संसदीय कार्य राज्य मंत्री नियुक्त किया गया।
- 1993 से 1998 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य के रूप में किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया
- जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया
- 16 जुलाई, 2022 को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया
- 6 अगस्त 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की
हर महीने करीब 42 हजार रुपये मिलेंगे?
जगदीप धनखड़ ने अगस्त के अंतिम सप्ताह में पेंशन के लिए विधानसभा सचिवालय में आवेदन किया था. औपचारिकताएं पूरी होने के बाद अब उन्हें लगभग 42 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलना शुरू हो जाएंगी.
राज्यपाल नियुक्त होने पर बंद हो गई थी पेंशन
गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ 1993 से 1998 तक किशनगढ़ सीट से कांग्रेस विधायक रहे थे. विधायक पद छोड़ने के बाद उन्हें जुलाई 2019 तक पेंशन मिलती रही. लेकिन पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त होने पर यह सुविधा बंद हो गई थी. उपराष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद उन्हें एक बार फिर पूर्व विधायक पेंशन बहाल कर दी गई है.
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