दीपक ताम्रकार, डिंडोरी. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज डिंडौरी जिले के दौरे पर पहुंचे. जहां से वे हेलीकॉप्टर से अनुपपुर से बजाग जनपद पहुंचे. जहां स्वागत करने पहुंचे बैगा नृतक दल के साथ मुख्यमंत्री शिवराज भी झूमने लगे. मंच पहुंचते ही बजाग क्षेत्र की बहनों ने अपने भाई शिवराज की नजर उतारी और साल की पहली फसल को भेंट किया. इस दौरान मंच पर पहुंचकर मुख्यमंत्री ने आदिवासी बैगाओं के बीच आमसभा को संबोधित किया और डिंडौरी से बीजेपी प्रत्याशी पंकज सिंह टेकाम के लिए जनता से आशीर्वाद मांगा.
दरअसल, प्रदेश के इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल आदिवासियों को साधने में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में सीएम शिवराज सिंह ने बजाग में मंच से कांग्रेस और कमलनाथ पर जमकर बरसे. भाजपा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को गिनाते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जय-वीरू और गब्बर उन्हीं की पार्टी में हैं. वो एक दूसरे को निपटा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कमलनाथ की कांग्रेस की 15 महीने की सरकार ने गरीबों को, किसानों को, महिलाओं और छात्रों को मिलने वाली योजनाओं को बंद कर दी थी. मैंने आते ही राशि की कोई कमी नहीं होने दी और सभी योजनाओं को चालू कर लाडली बहनों 1000 रुपये और आने वाले समय में 3000 हजार रुपये दूंगा. भांजे भांजियों और किसानों को उनकी सम्मन निधि के साथ ही केंद्र की मोदी सरकार से मिलने वाली राशन का लाभ मिलता रहेगा. उन्होंने ने बैगा महिलाओं को पोषण आहार की राशि 1000 हजार से बढ़ाकर 1500 करने की बात कही.
शिवराज सिंह ने कहा कि मैं सरकार नहीं परिवार चलता हूं. बच्चे भी मुझे आई लव यू बोलते हैं, मैं भी उनको आई लव यू टू बोलकर जवाब देता हूं. आदिवासी सीट के सवाल पर कहा कि मैं सरकार नही परिवार चलता हूं. आदिवासियों के हित के लिए पेसा कानून बना. ग्राम पंचायत को अधिकार दिए हैं. तेंदुपत्ता संग्राहकों को उनका अधिकार मिला है. उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनाव में पंकज सिंह टेकाम को वोट करने की अपील की.
मध्यप्रदेश में आगामी 2023 के विधानसभा चुनावों पर बीजेपी और कांग्रेस वोट परसेंटेज पर फोकस कर रही हैं. बीजेपी ने पहले ही 51% वोट हासिल करने का टारगेट सेट किया है. MP Assembly Election 2023 के सियासी समीकरण आदिवासी वोट बैंक पर टिके हुए हैं. प्रदेश में विधानसभा की 230 सीट में से 47 आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा भी कई सीटों पर आदिवासी वोटरों का खासा दखल है. प्रदेश में आदिवासियों की कुल जनसंख्या 2 करोड़ से भी अधिक है. ऐसे में भाजपा और संघ दोनों ही इस वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
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