दिल्ली. भारत की जनसंख्या के मुकाबले में अपनी कम जनसंख्या से जैन समुदाय चिंतित है। समुदाय ने अब उन लोगों की मदद करने का फैसला लिया है जो दो से ज्यादा बच्चे पैदा करेंगे। 2001 की जनगणना के अनुसार 102 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में जैन समुदाय की संख्या 42 लाख थी। इसके दस साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार उनकी संख्या बढ़कर 44 लाख हो गई थी। वहीं भारत की जनसंख्या भी बढ़कर 120 करोड़ हो गई थी।

यदि आंकड़ों को देखा जाए तो जैन समुदाय की जनसंख्या में वृद्धि काफी मामूली है। समग्र राष्ट्रीय जनसंख्या के प्रतिशत के संदर्भ में देखा जाए तो इसमें 2001 में 0.03 से 0.40 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं 2011 में यह कमी 0.37 प्रतिशत रही। साथ ही हाल ही में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार प्रजनन दर (मां बनने की औसत उम्र) जैन में 1.2 है। यह दर हिंदुओं में 2.13 और मुस्लिमों में 2.6 है।

दिगंबर जैन महासमिति की पिछले हफ्ते इंदौर में एक बैठक हुई थी जिसमें नारा दिया गया है- ‘हम दो हमारे तीन’ इस नारे के जरिए जैन के युवा जोड़ों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की गई है। समिति ने यह भी घोषणा की है कि वह उन जोड़ों को आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे जो दो से ज्यादा बच्चे पैदा करेंगे। साथ ही समुदाय के लोगों में होने वाले तलाक के मामलों को काउंसिलिंग के जरिए कम किया जाएगा।

समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक बड़जात्या ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि युवा इस बारे में सोचें। समिति तीसरे बच्चे की शिक्षा का खर्च उठाने के लिए तैयार है।’ यह समिति देश के 16 राज्यों में मौजूद है। उन्होंने आगे कहा, ‘बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से युवा ज्यादा बच्चे नहीं चाहते हैं। इनमें से एक आर्थिक कारण है। ऐसे में यदि एक समुदाय होने के नाते हम उनकी मदद करें तो हम उन्हें ज्यादा बच्चे करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।’ उनका कहना है कि समुदाय के सदस्य जल्द ही साथ आएंगे और फंड को इकट्ठा करेंगे ताकि एक योजना बनाई जा सके।