हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जैन समाज ने धार भोजशाला को लेकर याचिका लगाई थी। जिसे HC ने प्रॉपर फॉर्मेट में नहीं होने के चलते खारिज कर दिया है। वहीं कोर्ट ने सही फॉर्मेट में नियमानुसार याचिका लगाने की हिदायत दी है। अदालत ने सुव्यवस्थित रूप से पुन: नई याचिका लगाने के लिए कहा है। जैन समाज की तरफ से जल्द ही सही फॉर्मेट में फिर से पिटीशन दायर किया जाएगा।

दरअसल, मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला में न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) का सर्वे जारी है। अब तक भोजशाला में 1700 से ज्यादा अवशेष मिल चुके हैं। मूर्तियां, ढांचे, खंभे, दीवारें, भित्ति चित्र लगातार मिल रहे हैं। दावा है कि ये सब परमार कालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का निर्माण है। इस बीच एक गर्भगृह के पास 27 फीट लंबी दीवार भी मिली है, जो पत्थर की जगह ईंटों की बनी है। भोजशाला को लेकर जैन समाज ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें जैन गुरुकल होने की बात कही गई है।

धार की भोजशाला काे लेकर जैन समाज का दावा: हाईकोर्ट में लगाई याचिका, जैन गुरुकल होने की कही बात

यहां मिली जैन धर्म से जुड़ी मूर्तियां और शिला

कमाल मौला दरगाह से सटी दीवार से लगा गोमुख और भीतर बावड़ी, कुरान की आयतें लिखे शिलालेख और जैन धर्म से जुड़ी मूर्तियां और शिलाएं भी मिली है। एएसआई भोजशाला के 50 मीटर के दायरे में सर्वे किया। क्योंकि अब सर्वे लगभग पूरा हो चुका है। सर्वे और खुदाई के दौरान सैकड़ों अवशेष मिले हैं। हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां, खंभे, भित्ति चित्र तो मिले ही हैं। कुरान की आयतें लिखे शिलालेख भी हैं।

जैन समाज का दावा

धार भोजशाला किसकी, इसकी जानकारी जुटाने के लिए एएसआई का सर्वे पूरा हो गया है। इधर, सर्वे के दौरान खुदाई में सामने आ रही सामग्री और तथ्यों को देखते हुए अब जैन समाज ने भी इस पर अपना दावा ठोंक दिया है। जैन समाज ने भोजशाला पर अपने अधिकार को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के माध्यम से भोजशाला में जैन गुरुकुल होने की बात कही गई है।

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इन्होंने लगाई याचिका

भोजशाला से संबंधित जैन समाज की याचिका इंदौर हाईकोर्ट में विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद जैन ने लगाई। जिसमें दावा किया गया है कि भोजशाला में जैन धर्म से संबंधित अंबिका देवी और सरस्वती देवी की मूर्तियों के होने के साथ वहां जैन गुरुकुल होने के भी प्रमाण मिलते हैं। वर्तमान में यह मूर्तियां और मूर्तियों का जैन धर्म से संबंधित होने का शिलालेख ब्रिटिश म्यूजियम में आज भी सुरक्षित है।

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