“टूटी झोपड़ी में रहता है लेकिन दुआ पानी गिरने की करता है”. ये पंक्तियां किसानों के लिए है. लेकिन एक मुख्यमंत्री ऐसे है जो ये सोचता है कि किसान टूटी झोपड़ी में क्यों रहे. जो ये सोचते है कि देश का पेट भरने वाला किसान क्यों भूखा रहे. क्यों न वो बाकी लोगों की तरह दीवाली और दशहर मनाए. क्यों न उसके बच्चे दीपावली पर नए कपड़े पहने, मिठाई खाएं, नाचे गाएं, खुशियां मनाएं. किसानों के बारे में इतना सोचने वाले कोई और नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह हैं.
देश का अन्नदाता कहलाने वाले किसान की माली हालत सबसे ज्यादा खराब रहती है. देश का किसान मानसून पर ही निर्भर है. कभी अतिवृष्टि तो कभी अल्पवृष्टि की मार देश का किसान अक्सर झेलता है. जिस साल पर्याप्त पानी बरस गया वह साल किसान के लिए दीवाली से कम नहीं रहता. खेतों में लहलहाती फसलें ही उसे सुकून देती है. लेकिन उसका संघर्ष यहां ही खत्म नहीं होता. मजदूरों के अभाव में किसान अपने परिवार के साथ उन फसलों को वो काटकर खलिहान तक लाता है. जहां वह दिन रात एक कर मिजाई में लगा रहता है. उस पर भी बिचौलियों की नजर उसके धान पर होती है. वह किसान की माली हालत का फायदा उठाकर कम दामों में उसकी फसल को खरीदने का प्रयास करता है. कई बार तो बिचौलियों के चंगुल में फंसने की वजह से किसान की मूल लागत भी नहीं निकल पाती है.
किसानों की ऐसी ही परेशानियों से निजात दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार ने किसानों का धान खरीदी शुरु कर दी एक निश्चित समर्थन मूल्य पर. देश भर के लिए अन्न उत्पादन करने वाले किसान दिवाली जैसे त्यौहारों में भी वैसी खुशिया नहीं मना पाते थे जैसी शहरों में रहने वाला एक मजदूर व उसका परिवार मनाता है. शहरों में रहने वाले मजदूर को हर साल दिवाली के पहले बोनस मिलता है जिससे वह अपने परिवार के लिए कपड़े, मिठाई और घरेलू सामान खरीदता है. सूबे की सरकार ने किसानों के उन मायूस चेहरों को देखते हुए अन्नदाताओं को धान बोनस देने का निर्णय लिया. जिसके बाद किसानों के चेहरे में मुस्कान है. प्रति क्विंटल धान बोनस मिलने से किसानों को अब बिचौलियों से मुक्ति तो मिली ही है वरन् उनके परिवार की हर छोटी-बड़ी जरुरत उस धान बोनस से पूरी हो जाती है. एक समय घाटा का काम कहलाने वाली कृषि छत्तीसगढ़ में फायदे का कारोबार साबित हो रही है. प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को 300 रुपए प्रति क्विंटल धान बोनस देने का वादा किया था. अपने उसी वादे को पूरा करते हुए सरकार ने 13 लाख किसानों को 21 सौ करोड़ रुपए धान बोनस के रुप में बांटा.
छत्तीसगढ़ का किसान आज खुश है. उत्साह और उमंग से लबरेज है. सरकार इनकी खुशियों को बोनस तिहार के ज़रिए शामिल होती है. सरकार उनके लागत का मूल्य तो देती ही इसके साथ ही सरकार ऐसे किसानों लागत मूल्य के साथ-साथ बोनस भी देती है. बोनस देने की यह तस्वीर 2017 की है. जब अक्टूबर महीने में रमन सरकार ने प्रदेश के 13 लाख किसानों 21 सौ करोड़ का बोनस दिया था. दरअसल सरकार ने जैसा कहा वैसा किया.
सरकार ने यही ऐलान अब इस 2018 के लिए भी किया है. इस साल सरकार प्रदेश के किसानों 24 सौ करोड़ का बोनस देगी. इसके लिए सरकार दो दिन का विशेष सत्र भी बुलाने जा रही है. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह किसानों सौगात देने का ऐलान मंत्रिमंडल की बैठक में किया.
आइए आपको बताते हैं कि बीते वर्ष रमन सरकार ने कहां किस-किस जिले में बोनस तिहार मनाकर किसानों को दीपावली के पहले ये बड़ी सौगात थी.
यहां किसानों को मिला इतना धान बोनस
बलौदाबाजार- लौदाबाजार के बोनस तिहार में एक लाख 09 हजार किसानों के खाते में 166 करोड़ 68 लाख.
बिलासपुर- बिलासपुर के बोनस तिहार में 74 हजार 500 किसानों के खातों में 114 करोड़ 73 लाख रूपए की बोनस.
जशपुर- जशपुर जिले के 9 हजार 706 किसानों को बोनस तिहार के अंतर्गत 18 करोड़ 33 लाख 91 हजार की राशि सफलतापूर्वक वितरित की
बस्तर- बस्तर जिले के किसानों को 25 करोड़ 36 लाख 18 हजार रूपए के धान बोनस की सौगात मिली जिले के 37 समितियों की 59 उपार्जन केन्द्रों के 16 हजार 200 किसानों को धान बोनस दिया गया.
राजनांदगांव जिला- समर्थन मूल्य में किसानों के खरीदे गये धान की लगभग 19 करोड 1़5 लाख 95 हजार रूपए की बोनस राशि मोहला-मानपुर एवं अम्बागढ़ चौकी के किसानों के खातोें में जमा किया गया है.
महासमुंद जिला- मुख्यमंत्री ने मंच पर लैपटॉप पर अपने एक क्लिक से पिछले खरीफ वर्ष में प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से धान बेचने वाले जिले के 92 हजार 767 किसानों को 184 करोड़ 12 लाख रूपए की राशि बोनस के रूप में उनके सीधे खाते में भेजा गया.
कांकेर जिला- मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जिले के 48 हजार119 पंजीकृत किसानों को लगभग 65 करोड़ 42 लाख के बोनस का वितरण किया.
रायगढ़ जिला- 68 हजार 763 किसानों को 127 करोड़ 97 लाख 6310 रुपए के धान बोनस की सौगात.
गरियाबंद जिला- गरियाबंद जिले में आयोजित बोनस तिहार में जिले के 48 हजार 883 किसानों को 73 करोड़ 49 लाख रूपए बोनस का वितरण किया.
दुर्ग जिला- मुख्यमंत्री ने 66 हजार किसानों के खातों में डाला 106 करोड़ रूपए का बोनस
बलौदाबाजार-भाटापारा- बोनस तिहार में 36 करोड़ 97 लाख 43 हजार 640 रूपये 24825 कृषकों के खाते में स्थानांतरण किया गया
बालोद जिला- बालोद जिले के 92 हजार से ज्यादा किसानों को सूखे की प्राकृतिक आपदा में काफी राहत मिली है. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने बोनस तिहार के अवसर पर गुण्डरदेही में आयोजित कार्यक्रम में जिले की सहकारी समितियों के सदस्य किसानों को धान के लिए 300 रूपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस का ऑन लाइन वितरण किया. जिले के इन किसानों को लगभग 134 करोड़ रूपए का बोनस मिला.
कोरिया जिला- कोरिया जिले के 11 हजार 47 किसानों के खाते में 18 करोड़ 12 लाख रूपए की बोनस राशि
जांजगीर जिला- एक लाख 26 हजार 156 किसानों को एक साथ 211 करोड़ 48 लाख रूपये का धान बोनस वितरित
रायपुर जिला- मुख्यमंत्री ने रायपुर जिले के 93 हजार किसानों को बांटा 141 करोड़ रूपए का बोनस
सूरजपुर- लगभग 20 हजार किसानों के खाते में 37.82 करोड़ रूपए जमा
कोरबा- जिले के किसानों को 31 करोड़ 55 लाख रूपये बटेगा धान बोनस
जशपुर- जशपुर के 9 हजार 706 किसानों को 18 करोड़ 33 लाख 91 हजार मिला.
बलरामपुर जिला- बलरामपुर जिले के 16 हजार 242 कृषकों के खाते में 33 करोड़ 11 लाख रूपये की धान बोनस राशि जमा हो गई
बालोद जिला- मुख्यमंत्री के हाथों 92,615 किसानों को मिलेगा 133 करोड़ 95 लाख रूपए का बोनस
बेमेतरा जिला- जिले के 74114 किसान 115 करोड़ 58 लाख 16 हजार रूपए बोनस राशि से लाभान्वित हुए
बीजापुर- जिले के किसानों को 9 करोड़ 83 लाख धान बोनस का वितरण
दंतेवाड़ा- 1941 किसानों को एक करोड़ 72 लाख रूपए का बोनस मिलना
राजनांदगांव- एक लाख 15 हजार 373 किसानों को मिलेगा 300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से एक अरब पचपन करोड़ 34 लाख रुपए का बोनस
सरगुजा- 18759 किसानों को 32 करोड़ रूपये धान बोनस
दरअसल, रमन सरकार किसानों की हर पीड़ा को गहराई से समझती है. चाहे सूखे की मार हो या किसानों को अति बारिश और ओलावृष्टि भी जुझना पड़ा हो. प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह ने हर मौके पर किसानों का साथ दिया है. किसानों की हर समस्या को दूर करने की कोशिश की है. लेकिन छत्तीसगढ़ में हालाात हमेशा ऐसे न थे.
एक समय था जब छत्तीसगढ़ में किसानों को उनके उपज का सही दाम नही मिल पाता था. किसान साहूकारों से कर्ज लेकर खेती-किसानी करने में मजबूर हो जाया करते थे. लेकिन धीरे-धीरे किसानों की ज़िंदगी बदली. छत्तीसगढ़ में सत्ता संभालने के बाद डाॅ.रमन सिंह की सरकार ने किसानों के लिए कई ऐसे योजनाएं चलाई. जिसके बदौलत आज प्रदेश के किसान उन्नत और खुशहाल जीवन जी रहे है. सरकार ने किसानों की तकलीफ को समझते हुए न सिर्फ सोसायटी के माध्यम से उनके उपज का एक एक दाना खरीदा. बल्कि किसानों को धान के समर्थन मूल्य के अलावा तीन सौ रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस देने की घोषणा भी किया. सरकार ने जो वादा किया उसे निभाया
धमतरी जिले में कैसे बदली किसानों की किस्मत
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला कृषि के मामले में अग्रणी जिला माना जाता है. यहां ज्यादातर लोग कृषि से जुड़े है. यहां आय का प्रमुख जरिया भी कृषि ही है. लेकिन पिछले साल मानसून की दगाबाजी ने यहां किसानों की कमर तोड़ दी. अच्छी बारिश नही होने की वजह से यहां फसल भी अच्छी नही हुई. जिले में सूखे के हालात बन गए. नतीजन किसानों में एक निराशा थी. क्योंकि दवाई खाद और किसानी के कार्य में किसानों के बहुत खर्चे हो चुके थे.
ऐसे समय में सरकार का बोनस किसानों के छलकते आंसू को पोंछने का काम किया. सरकार के बोनस ने न सिर्फ इनके आंसूओं को थामने का काम किया बल्कि इनके चेहरे पर मुस्कान की लकीर खींच दी. धमतरी जिले में तकरीबन 80 हजार किसानों को 104 करोड़ रूप्ए का बोनस वितरण किया जा चुका है.
रुपचंद साहू की किस्मत कैसे बदली
जिले मे मुजगहन गांव में रहने वाले रूपचंद साहू उन्हीं किसानों में से एक है. जिन्हें बोनस ने सहारा दिया. रूपचंद मध्यम वर्गीय किसान में से एक है जो हर साल करीब 3 एकड़ में किसानी करते हैं . रूपचंद के आय का प्रमुख जरिया कृषि है. वे किसानी कार्य से संतुष्ट है. लेकिन बीते मौसम की मार से पिछले साल फसल उतनी अच्छी नही हुई थी. किसान रूपचंद चिंतिंत थे. सामने त्यौहार और कई बहुत सारे खर्चे थे. ऐसे समय में किसान रूपचंद के लिए सरकार व्दारा फसल के एवज में मिले बोनस वरदान साबित हुआ. उनको सरकार द्वारा बोनस के रूप में तकरीबन 14 हजार की मोटी रकम मिली. जिसके बाद उनके खुशी का ठिकाना नही रहा. बोनस के रूप में मिले पैसे से उन्होने त्यौहार में बच्चों के लिए कपड़ें खरीदे. धूमधाम से त्यौहार मनाया. इतना ही नही बाकी बचे पैसो से खेतों में लगने वाले सामान भी खरीद लिया. किसान रूपचंद बताते है कि सरकार ने उन्हे त्यौहार के समय बोनस दिया जिस समय पहले साहूकारों सेकर्ज लेकर त्यौहार मनाया करते थे. वे बताते है कि सरकार के योजनाओं के बदौलत उन्हे समय पर खाद बीज भी मिल जाती है. जिनसे वे बेहत्तर ढंग से किसानी कर पाते है.
मुजगहन गांव में रहने वाले एक और किसान रामदयाल साहू बताते है कि वे महज एक एकड़ में खेती में करते है और बोनस मिलने से उनके बहुत सारे परेशानियों का हल निकला. पहले उन्हे 4500 रू बोनस के रूप में राशि मिला. उसे कृषि कार्य में लगाया. बाद इसके जब दूसरी बार जब उन्हे बोनस मिला तो उन पैसों से घर का खर्च और अपने परिवार के साथ त्यौहार अच्छे ढंग से मनाया.
रूपचंद और रामदयाल की तरह ही रत्नाबांधा गांव में रहने वाला किसान नागू साहू और लोकेश यादव भी आर्थिक संकट से जुझ रहे थे. परिवार के भीतर कर्ज की स्थिति बन गई थी. ऐसी स्थिति में दीपावली जैसे त्यौहार के मौके पर सबसे बड़ी चिंता धन की थी. क्योंकि बिना धन के मन खुश कैसे रहता है. सरकार ने ऐसे वक्त में किसानों की इस चिंता को तत्काल दूर करने की ठान ली. मुख्यमंत्री ने तत्काल बोनस की मांग को पूरी करने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चर्चा की. किसान हितैषी सरकार ने पूरी संवेदशीलता से किसानों के पक्ष में फैसला लिया. आखिरकार धान बोनस के ऐलान और बोनस तिहार ने रत्तनाबांधा गांव के किसानों को खुशहाल कर दिया.
धमतरी जिले में 84 उपार्जन केन्द्रो के माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की गई थी. किसानों को सरकार के वायदे के अनुरूप प्रति क्विंटल 300 रू बोनस भी दिया गया. यहां 80 हजार से ज्यादा किसानों को तकरीबन 104करोड़ रूपए के बोनस राशि दिया गया है. इसके आलावा जिले में शत प्रतिशत बोनस का वितरण किया जा चुका है.
छत्तीसगढ़ में बोनस तिहार ने वाकई में किसानों की सबसे बड़ी चिंता को हर दुःख को कम कर दिया है. त्यौहार के मौके पर हर किसी को जरूरत पैसे की होती है. और इसी जरूरत को रमन सरकार ने बोनस तिहार से पूरा किया है. बीते वर्ष की तरह इस साल में भी किसानों को यही खुशी मिलने जा रही है. किसानों को इस साल भी सरकार बोनस देने जा रही है.
तभे किसान मन कहिथे फेर मनाबो बोनस तिहार. जय होवय तोर रमन सरकार.
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