गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद पहली बार चीन पहुंचे भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की है। इस दौरान उन्होंने चीन को भारत की ओर से स्पष्ट संदेश दे दिया है। चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे जयशंकर ने कहा है भारत आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति रखता है और चीन से भी ऐसी ही उम्मीद करता है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा है कि दोनों देशों के बीच स्थिर संबंधों से पूरी दुनिया को लाभ होगा।

आपको बता दें, जयशंकर तीन दिन के दौरे पर चीन पहुंचे हैं, जहां वे तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। बीजिंग पहुंचते ही उनकी चीनी उपराष्ट्रपति से मुलाकात हुई।

बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा, “पिछले साल अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस यात्रा के दौरान मेरी चर्चाएं इस सकारात्मक दिशा को बनाए रखेंगी।”

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कैलाश मानसरोवर यात्रा पर बात

इस साल भारत-चीन के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर चीन के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के दौरान एस जयशंकर ने कहा कि मैं चीनी पक्ष को SCO की अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं देता हूं. हमारी बैठक कल होगी और भारत अच्छे निर्णयों एवं सफल परिणामों के लिए प्रतिबद्ध है. * हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह आवश्यक है कि हम दूरदृष्टि के साथ आगे बढ़ें. अक्तूबर 2024 में कजान में हमारे नेताओं की बैठक के बाद भारत-चीन संबंध सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं. अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि इस गति को बनाए रखें. हमें यह देखकर प्रसन्नता है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच वर्षों के अंतराल के बाद फिर से शुरू हो गई है. इस विषय में सहयोग के लिए मैं चीनी पक्ष का आभार व्यक्त करता हूं.

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‘आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को खत्‍म करना होगा’

विदेश मंत्री ने कहा कि हम पहले भी सहमत हुए हैं कि मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को कभी संघर्ष में नहीं बदलने देना चाहिए. कल हम SCO के प्रारूप में मिलेंगे, जिसका मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ना है. यह एक साझा चिंता है और भारत आशा करता है कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत को पूरी मजबूती से लागू किया जाएगा.

वैश्विक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने कहा, “आज की वैश्विक स्थिति बहुत जटिल है। पड़ोसी देशों और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन के बीच खुला संवाद बहुत जरूरी है।” इसके अलावा, एक पेड़ मां के नाम’ पहल के तहत, विदेश मंत्री ने बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास में अनार का पौधा भी लगाया।

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उल्लेखनीय है, यह जयशंकर की जून 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद पहली चीन यात्रा है, जिसने दोनों देशों के संबंधों को काफी प्रभावित किया था। हालांकि, इस दौरान वे अपने चीनी समकक्ष से बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह यात्रा सीमा विवाद के बीच उच्च स्तरीय राजनयिक संपर्क का महत्वपूर्ण कदम है।

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