सीकर. जल झुलनी एकादशी के अवसर पर सीकर जिले के खाटूश्यामजी धाम में भक्तों की लंबी कतारें लगी है. देशभर से लाखों श्याम भक्तों के पहुंचने के कारण खाटू नगरी में पैर रखने की भी जगह नहीं है. रिंगस से खाटूनगरी तक कुछ भक्त दंडवत यात्रा करते हुए बाबा श्याम के दर्शन के लिए दरबार तक जाते दिखे.
आज खाटू नगरी में भक्तों को बाबा श्याम के साथ-साथ गोपीनाथ भगवान के भी दर्शन करने का अवसर मिलेगा. खाटू श्याम मंदिर परिसर में स्थित गोपीनाथ मंदिर से आज गोपीनाथ भगवान चांदी की पालकी में सवार होकर जल विहार के लिए निकलेंगे. इस शोभायात्रा में लाखों भक्त शामिल होंगे.

जल झुलनी एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में जल झुलनी एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका सीधा संबंध भगवान कृष्ण के जन्म से माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के जन्म के बाद इस दिन उनकी प्रतिमा को मंदिरों में गाजे-बाजे के साथ जल विहार कराया जाता है. इस अवसर पर बाबा श्याम के सभी मंदिरों में खाटू नरेश को नई और सुंदर पोशाक धारण कराकर उनका विशेष श्रृंगार किया जाता है. कई मंदिरों में तो भक्त अपनी बारी का इंतजार सालों तक करते हैं ताकि वे अपने आराध्य को पोशाक भेंट कर सकें.
जल झुलनी एकदशी पर भगवान विष्णु लेते हैं करवट
महिलाओं के लिए भी यह एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है. वे इस दिन व्रत रखती हैं और देर शाम भगवान के जल विहार के दर्शन करने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में करवट लेते हैं. यह एकादशी समस्त पापों का नाश कर मोक्ष प्रदान करती है. इसे परिवर्तिनी एकादशी, पद्मा एकादशी और वामन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
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