वीरेंद्र कुमार /नालंदा। जिले के अस्थावां प्रखंड के ओन्दा पंचायत में भारी बारिश के बाद जलनिकासी की व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। नतीजतन, ओन्दा, सदरपुर, नेरूत, अंदी, उतरथू समेत कई गांवों के खेत जलमग्न होकर तालाब जैसे नजर आ रहे हैं। लगभग 3000 एकड़ में लगी धान और अन्य खरीफ फसलें पानी में डूबकर पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। किसानों का कहना है कि लंबे समय से पानी निकासी की समस्या बनी हुई है, लेकिन इस बार लगातार बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।

जदयू किसान प्रकोष्ठ के नेता पहुंचे

स्थिति का जायजा लेने के लिए जदयू किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष त्रिनयन कुमार गुरुवार को प्रभावित इलाकों में पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से मिलकर उनकी परेशानियों को सुना और खेतों में खड़ी फसल की स्थिति का निरीक्षण किया। त्रिनयन कुमार ने बताया कि सदरपुर गांव में ऊंचाई पर बने चिल्का के कारण पानी का प्राकृतिक बहाव रुक गया है, जिससे आसपास के खेतों में पानी जमा हो जाता है। उन्होंने बताया कि जलनिकासी बहाल करने के लिए कम से कम 5 से 6 फीट तक खुदाई कर निचले हिस्से में निकासी मार्ग तैयार करना जरूरी है।

उचित मुआवजा देने की मांग

त्रिनयन कुमार ने सरकार से तत्काल सर्वे कराने और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक समस्या का स्थायी समाधान नहीं होगा, तब तक हर साल किसानों को इसी तरह की तबाही झेलनी पड़ेगी। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो किसान बड़े पैमाने पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

साल भर की मेहनत बर्बाद हो गई

स्थानीय किसानों ने भी अपनी व्यथा रखते हुए कहा कि जलजमाव के कारण उनकी साल भर की मेहनत बर्बाद हो गई है। बीज, खाद, मजदूरी और सिंचाई पर हुए हजारों रुपये के खर्च अब पूरी तरह डूब गए हैं। उनका कहना है कि प्रशासन को फौरन राहत पहुंचानी चाहिए, ताकि वे अगली फसल की बुआई कर सकें। किसानों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि समय पर मुआवजा और मदद नहीं मिली, तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी।

अस्थायी उपायों से समस्या हल नहीं होगी

ग्रामीणों ने यह भी मांग की कि जलनिकासी के स्थायी समाधान के लिए सरकारी स्तर पर ठोस योजना बनाई जाए। उनका कहना है कि केवल अस्थायी उपायों से समस्या हल नहीं होगी। बारिश के बाद से अब तक जलजमाव की स्थिति जस की तस बनी हुई है और किसानों की निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी हैं।

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