Jamia Millia Islamia University Controversy: दिल्ली स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) यूनिवर्सिटी और विवादों के बीच चोली-दामन साथ वाली कहानी है। जामिया यूनिवर्सिटी विवादों में न रहे, ऐसा हो सकता है क्या? तो इसका जवाब है बिलकुल भी नहीं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) एक बार फिर पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है। विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने कैंपस में प्रोटेस्ट किया, जिसके बाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने 17 छात्रों को सस्पेंड कर दिया। इसे लेकर छात्र प्रोटेस्ट कर रहे हैं। छात्रों की मांग है कि आरोप सच है तो CCTV दिखाए जाए।

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दरअसल वर्ष 2019 के सीएए विरोधी विरोध प्रदर्शनों की याद में जामिया यूनिवर्सिटी में वार्षिक समारोह के रूप में था। विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने कैंपस में प्रोटेस्ट किया, जिसके बाद यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ छात्रों को नोटिस भेजा था।   इसके बाद भी प्रोटेस्ट नहीं बंद हुआ, तो एक्शन लेते हुए 17 स्टूडेंट्स को सस्पेंड कर दिया था। इसके विरोध में छात्र आंदोलन कर रहे थे। धरने का नेतृत्व ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया रिवोल्यूशनरी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन सहित कई लेफ्ट संबंधित छात्र संगठन कर रहे थे।

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इसके साथ ही यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन पर स्टूडेंट्स का आरोप है, “प्रोटेस्ट करने वाले कुछ छात्रों की फोटो, डिपार्टमेंट, मोबाइल नंबर जैसी पर्सनल जानकारी के साथ गेट पर लिस्ट लगा दी थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जिन स्टूडेंट्स के नाम की लिस्ट गेट पर लगाया और सस्पेंड किया, उसमें सोनाक्षी गुप्ता, सखी, ज्योति, सौरभ, हज़रत परवाना और फ़ुज़ैल सहित कुल 17 स्टूडेंट्स के नाम शामिल हैं।

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मामले में क्या कहना है पुलिस का

13 फरवरी की अल सुबह सुबह 3 से 4 बजे के आसपास दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 17 छात्रों को हिरासत में ले लिया था। हालांकि बाद में सभी को छोड़ दिया गया था। प्रशासन के मुताबिक, प्रदर्शनकारी छात्रों ने सेंट्रल कैंटीन सहित विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और सुरक्षा सलाहकार के दफ़्तर का गेट तोड़ दिया, जिससे प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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JMI एडमिनिस्ट्रेशन ने ये कहा

JMI एडमिनिस्ट्रेशन ने 13 फ़रवरी को ऑफिशियल स्टेटमेंट में कहा, “मुट्ठी भर छात्रों ने पिछले दो दिनों में सेंट्रल कैंटीन सहित विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है और सुरक्षा सलाहकार के गेट को भी तोड़ दिया है। इससे जामिया प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 13 फरवरी सुबह विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रॉक्टोरियल टीम ने छात्रों को विरोध स्थल से हटा दिया और उन्हें कैंपस से बाहर निकाल दिया गया। पुलिस से कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने की गुजारिश की गई है।

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‘हमारा मन नहीं होता, हम मजबूरी में प्रोटेस्ट करते हैं…’

समाजशात्र विभाग की फाइनल ईयर की स्टूडेंट सखी ने कहा कि हम 10 फ़रवरी से जामिया सेंट्रल कैंटीन पर प्रोटेस्ट कर रहे थे. तीसरे दिन की रात में नोटिस आता है कि हम लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके बाद हमें हिरासत में लिया गया। हमारे पैरेंट्स को कॉल किया गया, जिससे वे भी डर गए। हमारा मन नहीं होता है कि हम प्रोटेस्ट करें लेकिन हम अपनी बात सुने जाने के लिए प्रोटेस्ट करने के लिए मजबूर होते हैं और प्रोटेस्ट करना हमारा संवैधानिक अधिकार है लेकिन प्रोटेस्ट को रोककर हमारी आवाज़ को दबाया जा रहा है।

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तोड़-फोड़ के आरोपों पर छात्रों का क्या कहना है?

यूनिवर्सिटी की छात्रा सोनाक्षी गुप्ता ने कहा कि हम पर आरोप लगाए गए कि हमने हिंसा की है लेकिन हिंसा वाली जगह पर हम थे ही नहीं। अगर प्रशासन का कहना है कि हमने हिंसा की है, तो हमें CCTV प्रूफ़ दिखाया जाए। छात्र प्रियाशूं ने कहा कि प्रशासन छात्रों के मुद्दों को उलझा रहा है. जामिया में सैकड़ों CCTV कैमरे लगे हैं, उसमें सब देखा जा सकता है। हमें यूनिवर्सिटी के अंदर बोलने और अपनी बात रखने की आज़ादी मिलनी चाहिए। हम चाहते हैं कि जामिया के वीसी हमारी बात सुनें और हमसे संवाद करें, जिससे एक रास्ता निकल सके।

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2019 में दिल्ली पुलिस ने किया था छात्रों पर लाठीचार्ज

दरअसल पीएचडी छात्रों पर 2024 में ‘जामिया प्रतिरोध दिवस’ मनाए जाने का आरोप है। इसे 2019 के CAA विरोधी विरोध प्रदर्शनों की याद में वर्षगांठ के तौर पर मनाया गया था। इस साल ही दिल्ली पुलिस ने 15 दिसंबर को यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसकर लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया था। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज वायरल होने पर देशभर में इस घटना को लेकर लोगों में गुस्सा पनप गया था और विरोध प्रदर्शन हुए थे।

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