श्रीनगर। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 10 साल के अंतराल के बाद हुए विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती शुरू होने के साथ रुझान नजर आने लगे हैं. 90 सीटों पर हो रही गिनती में शुरुआती दौर में कांग्रेस-एनसी गठबंधन 53 सीटों पर बढ़त हासिल कर बहुमत के आंकड़े को पार कर चुका है. वहीं भाजपा 22 सीटों पर बढ़त के साथ बहुमत से कोसों दूर है. महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी चार सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, वहीं अन्य दल और निर्दलीय 11 सीटों पर आगे चल रहे हैं.
2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से केंद्र शासित प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार के लिए मंगलवार सुबह 8 बजे एक साथ वोटों की गिनती शुरू हुई. चुनाव अधिकारियों ने बताया कि सभी 20 जिलों में 90 विधानसभा सीटों के लिए स्थापित 28 मतगणना केंद्रों पर तीन-स्तरीय सुरक्षा कवर के बीच मतगणना हो रही है.
शुरुआती रुझानों में चुनाव से पहले मतदान के बाद कराए गए एक्जिट पोल में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर नजर आया कांग्रेस-एनसी गठबंधन, जमीन पर भी बहुमत हासिल करता नजर नजर आ रहा है. लेकिन तस्वीर कश्मीर और जम्मू का एकदम विपरित है. जम्मू क्षेत्र की 43 सीटों में से 22 पर भाजपा ने बढ़त बनाई है, तो वहीं कांग्रेस-एनसी 16 सीटों पर आगे चल रही है. पीडीपी का आंकड़ा शून्य है, तो वहीं अन्य 5 सीटों पर आगे चल रहे हैं.
वहीं कश्मीर क्षेत्र की बात करें तो यहां कांग्रेस-एनसी गठबंधन की एकतरफा हवा है, क्षेत्र की 47 सीटों में से 37 सीटों पर गठबंधन आगे चल रहा है. वहीं भाजपा शून्य पर ही टिकी हुई है. पीडीपी चार सीटों पर बढ़त के साथ केवल कश्मीर क्षेत्र में ही नजर आ रही है. इसके अलावा 6 सीटों पर अन्य दल या फिर निर्दलीय आगे चल रहे हैं.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में लगभग 61% मतदान हुआ, जो पिछले सात चुनावों में सबसे अधिक है. दूसरे चरण में 57% मतदान हुआ. चुनाव आयोग के अनुसार, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में मंगलवार को 69.65% से अधिक मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ था.
चुनाव नतीजों से पहले नामित सीटों पर तकरार
95 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए उपराज्यपाल द्वारा नामित पांच सीटें वोटों की गिनती से एक दिन पहले केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक दलों और भाजपा के बीच तकरार का प्रमुख विषय बन गईं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा द्वारा जम्मू-कश्मीर की 95 सदस्यीय विधानसभा में पांच विधायकों को नामित करने के अधिकार का प्रयोग करने पर कहा,“हम विधानसभा में ऐसे लोगों को नहीं चाहते जो इसके लायक नहीं हैं. उपराज्यपाल को केवल वही मंजूर करना होता है, जिसकी निर्वाचित सरकार उन्हें सिफारिश करती है.”