नई दिल्ली। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब जम्मू-कश्मीर के एक गुर्जर मुसलमान गुलाम अली को राज्यसभा में मनोनीत किया गया. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने से पहले इस समुदाय का विधायी निकायों में नहीं के बराबर प्रतिनिधित्व था.

राज्यसभा का सदस्य मनोनीत होने पर गुलाम अली ने भाजपा नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि इससे मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है. भाजपा में प्रवक्ता के रूप में अपनी संगठनात्मक कुशलता का परिचय दे चुके इंजीनियर गुलाम अली ने कहा कि जम्मू कश्मीर को सही मायनों में आजादी और लोकतंत्र का स्वाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उस दिन मिला.

जम्मू ज्वाइंट्स स्टूडेंट्स फेडरेशन के बैनर तले अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले इंजीनियर गुलाम अली ने जम्मू में कई प्रमुख छात्र आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई. वह कुछ समय तक पैंथर्स पार्टी के संस्थापक स्व. प्रो. भीम सिंह के सलाहकार भी रहे और बाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के साथ जुड़ गए. वह संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के भी काफी करीबी रहे.

उन्होंने जम्मू कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित इलाकों डोडा, राजौरी, पुंछ, बारामुला, कुपवाड़ा में स्थानीय लोगों को भाजपा के साथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने राजस्थान, हरियाणा व अन्य प्रदेशों में भी भाजपा द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाया. उन्होंने गुज्जर बक्करवाल समेत मुस्लिम समाज के पिछड़े वर्गों तक भाजपा की जनकल्याण नीतियों को पहुंचाने और जम्मू कश्मीर के मुस्लिमों को भाजपा के साथ जोडऩे में एक पुल का काम किया है.

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